भोपाल।
मध्य प्रदेश सरकार ने मंगलवार को भोपाल के मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) को विशेष रूप से संभावित कोविद -19 पीड़ितों के अस्पताल में बदलने के अपने आदेश को पलट दिया है। राज्य सरकार के आदेश के अनुसार BMHRC को कोविद -19 उपचार स्वास्थ्य केंद्र बनने के लिए आवंटित किया गया था। यह आदेश अतिरिक्त कलेक्टर भोपाल द्वारा पारित किया गया था। 350 बेड वाले इस अस्पताल के लगभग सभी रोगियों को मार्च में घर भेजा गया था। जिसके बाद यहां कोरोना संक्रमित की इलाज की जा रही थी।
जिसके बाद भोपाल गैस पीडित संघर्ष सहयोग समिति (बीजीपीएसएसएस) के संयोजक एनडी जयप्रकाश ने एक ज्ञापन देते हुए कहा था कि 350 बिस्तरों वाला BMHRC वर्ष 2000 में कार्यात्मक हुआ था। उसे विशेष रूप से भारत के उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर भोपाल के 5 लाख गैस पीड़ितों के लिए बनाया गया था। 23 मार्च को राज्य सरकार को लिखे पत्र में उन्होंने मप्र सरकार के उक्त निर्णय को पलटने के लिए संघ सरकार से मांग की थी। उन्होंने कहा था कि ऐसा ऐसा इसलिए नहीं कि हम किसी भी तरह से कोरोना द्वारा फैल रहे खतरे को कम करने की कोशिश नहीं चाहते। इसके विपरीत यह निर्णय भोपाल की गैस पीड़ितों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों और भलाई के लिए हैं क्योंकि वे भोपाल की आबादी के सबसे कमजोर वर्ग से हैं। इसी के साथ इन्हें covid19 जैसे महामारी के शिकार होने की सबसे अधिक संभावना है।
बता दें कि एमपी सरकार ने 23 मार्च को दिए गए आदेश में बीएमएचआरसी अस्पताल को एक समर्पित कोविद -19 उपचार केंद्र में बदल दिया था। जिसके बाद पिछले दो हफ्तों में covid -19 से संक्रमित पाए गए और मरने वाले पांच लोगों में से चार 1984 की भोपाल गैस आपदा के शिकार होने से जुड़े थे। गौरतलब है कि अस्पताल 1984 के भोपाल गैस रिसाव से प्रभावित लोगों का मुफ्त इलाज करता है।जिसमें करीब 5.74 लाख गैस पीड़ितों को अस्पताल में नियमित उपचार मिलता है।