Gwalior: सिलेंडर में ब्लास्ट, धमाके के साथ गिरा मकान, मां बेटे को रेस्क्यू कर निकाला   

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना।  ग्वालियर में पड़ाव थाने के पीछे एक मकान में हुए धमाके से दहशत फ़ैल गई। धमाका सिलेंडर में ब्लास्ट (Blast)के कारण हुआ था। ब्लास्ट (Blast) के चलते मकान भरभरा कर गिर गया और उसके मलबे के नीचे घर में मौजूद मां और बेटे दब गए जिन्हें रेस्क्यू कर निकालकर अस्पताल पहुँचाया गया।

जानकारी के अनुसार पड़ाव थाने के पीछे नगर निगम शौचालय के पास एक बाल्मीकि परिवार रहता है। मंगलवार सुबह इनके घर में बड़ा हादसा हो गया है। यहाँ रहने वाली 30 वर्षीय रंजीता देवी घर में खाना बनाने की तैयारी कर रही थी। उन्होंने जब गैस चूल्हा जलाने का प्रयास किया उसी समय गैस पाइप से सिलेंडर (Cylinder) में आग लग गई। आग लगते ही रंजीता बाहर की तरफ भागी। लेकिन वे घर के बाहर निकल पाती उससे पहले ही ब्लास्ट (Blast) हो गया। ब्लास्ट (Blast) इतना तेज था कि मकान की छत भरभरा कर ढह गई। रंजीता और उसका 9 वर्षीय बेटा युग उसमें दब गए।

धमाके की आवाज से आसपास दहशत फ़ैल गई लोग रंजीता के घर की तरफ भागे। मौके पर भीड़ इकट्ठी हो गई। लोगों ने बचाव कार्य शुरू किया। कुछ ही मिनट में वहां पुलिस और फायर ब्रिगेड पहुंच गई। फायर ब्रिगेड ने मकान के मलबे में फंसे बाल्मीकि परिवार के दोनों सदस्यों रंजीता और युग को बाहर निकाला और एम्बुलेंस की मदद से जयारोग्य अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया। दोनों घायल है,लेकिन उनकी हालत खतरे से बाहर बताई गई है। बताया ये भी जा रहा है कि जिस मकान में हादसा हुआ है वो अवैध था कुछ समय पहले सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर इसे बनाया गया है। रंजीता के पति राजेश की कुछ समय पहले ही मृत्यु हुई है वो यहां अपने दो बच्चों के साथ रहती है। ब्लास्ट के कारण आसपास बने मकानों में भी दरार आने की जानकारी मिली है। पुलिस घटना की जांच कर रही है।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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