ग्वालियर, अतुल सक्सेना। 1947 में देश के आजाद होने के बाद ग्वालियर (Gwalior) के छत्री बाजार मैदान में शुरू हुआ रामलीला का मंचन इस बार नहीं होगा। रामलीला (Ram Leela) समिति ने कोरोना महामारी के चलते इसका मंचन नहीं करने का फैसला लिया है। ये पहली बार नहीं है कि रामलीला का मंचन नहीं किया गया हो, इससे पहले 1962 के भारत चीन युद्ध के कारण और 2001 में पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया (Madhavrao Scindia) के विमान दुर्घटना में निधन होने के कारण रामलीला का मंचन नहीं किया गया था।
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ग्वालियर के छत्री बाजार मैदान पर 1947 में तत्कालीन महाराज जीवाजी राव सिंधिया ने रामलीला और रावण दहन समारोह की शुरुआत की थी, जिसे देखने के लिए ग्वालियर अंचल के हजारों लोग आते थे, यहाँ लोगों की भारी भीड़ जुटती थी लेकिन इस बार रामलीला समारोह समिति ने रामलीला का मंचन नहीं करने का फैसला लिया है। समिति के संयोजक पूर्व विधायक रमेश अग्रवाल का कहना है कि कोरोना संक्रमण जिले में तेजी से फैला है, इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि इस बार रामलीला का आयोजन नहीं होगा।
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उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते कलेक्टर गाइड लाइन के मुताबिक 100 लोगों से ज्यादा की भीड़ किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं की जा सकती। इसलिए समिति ने फैसला किया कि केवल 100 लोगों के लिए 25 लाख रुपये का खर्चा करना औचित्यपूर्ण नहीं हैं साथ ही समिति के सदस्यों ने ये भी कहा कि शहर के लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी हम सबकी जिम्मेदारी है इसलिए ये फैसला लिया है।
आजादी के बाद ग्वालियर में तीसरा मौका
रमेश अग्रवाल ने बताया कि 73 वर्षों ये रामलीला लगातार जारी है इससे पहले दो बार ऐसा अवसर आया है जब इसे स्थगित करना पड़ा, सबसे पहले 1962 में भारत चीन युद्ध के समय और 2001 में पूर्व केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया के विमान दुर्घटना में निधन के कारण रामलीला स्थगित की गई थी। ये तीसरा मौका होगा जब कोरोना महामारी के कारण रामलीला का आयोजन निरस्त करना पड़ रहा है।
हमारे हिसाब से अनुमति मिलेगी तो होगा ग्वालियर में रावण दहन
कार्यक्रम संयोजक रमेश अग्रवाल ने कहा कि हम रावण दहन कार्यक्रम के आयोजन के बारे में विचार कर रहे हैं यदि कलेक्टर की अनुमति मिलेगी तो अवश्य करेंगे लेकिन यदि कलेक्टर ये कहेंगे कि 6 फुट के रावण का दहन किया जाए तो संभव नहीं होगा। यदि रावण दहन होगा तो 60 फुट का ही होगा।