MP Transport : 20 फीसदी किराया नहीं बढ़ा तो नहीं चलेंगी बस

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। चुनावी गहमागहमी के बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है।एक बार फिर बस संचालक  (Bus operator) अपनी मांगों पर अड़ गए है। मध्यप्रदेश प्राइवेट मोटर मालिक एसोसिएशन (Madhya Pradesh Private Motor Owners Association) ने शिवराज सरकार (Shivraj government) को अल्टीमेटम (Ultimatum) दिया है। प्राइवेट मोटर मालिक एसोसिएशन ने मांग पूरी नहीं होने 15 अक्टूबर से पूरी तरह से बसों का संचालन (Operating buses) नहीं करने का ऐलान किया है।

दरअसल, मध्यप्रदेश के बस संचालकों ने किराए में वृद्धि की मांग की है।इस संबंध में अध्यक्ष गोविंद शर्मा (Govind Sharma) ने परिवहन विभाग और सीएम कार्यालय को पत्र लिखकर कहा है कि लॉकडाउन के बाद यात्रियों की संख्या में भारी कमी आई है। जिससे मोटर मालिक को डीजल, ड्राइवर, कंडक्टर का वेतन और बीमा के लिए भी पैसे नहीं मिल पा रहे हैं।वही  यात्री नहीं मिलने से एक बार संचालित करने में रोजाना 6000 का घाटा हो रहा है, बावजूद इसके सरकार से लगातार मांग के बावजूद सरकार हमारी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है।

एसोसिएशन का कहना है कि सरकार ने ट्रांसपोर्ट टैक्स माफ के प्रस्ताव मंजूर करने के साथ किराया समिति द्वारा प्रस्तावित किराया वृद्धि पर जल्द फैसला लेने का ऐलान किया था, लेकिन अबतक इस पर फैसला नही लिया है।  इसको लेकर मध्य प्रदेश प्राइवेट मोटर मालिक एसोसिएशन ने शिवराज सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि अगर किराया नहीं बढ़ाया जाता है वे 15 अक्टूबर के बाद हड़ताल पर चले जाएंगे।

प्रदेश में एक बार फिर बंद हो सकता है बसों का संचालन, ये है कारण

बता दें कि मध्यप्रदेश में 30,000 से ज्यादा यात्री बसों का संचालन होता है।लॉकडाउन (Lock Down) के चलते 22 मार्च से कोरोना की वजह से बसों को बंद कर दिया गया था। फिर अनलॉक के दौरान 4 सितंबर को संचालकों की मांग पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साढ़े 5 महीने का बसों का टैक्स माफ किया था, तो 5 सितंबर से बसों का संचालन शुरू हुआ था। अब संचालकों का कहना है कि उन्हें 20 फीसद से ज्यादा यात्री नहीं मिल रहे है। 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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