सिंगरौली, राघवेन्द्र सिंह गहरवार। अगर अवैध शराब के अवैध कारोबार की जड़ के जाने के बारे में जानने की कोशिश करे तो जानकारी जानकर आप भी चौक जायेंगे। वास्तविक यह है कि शराब का अवैध धंधा ठेकेदारों का ही फंडा होता है।ठेकेदार शराब की जो दुकान ठेके पर लेता है। उस क्षेत्र में दर्जनों दुकानें चलाता है कतिपय ढाबे वाले होटल वाले गोमती वाले कई घरों से कई चाय की दुकान से कोई पान की दुकान से आदि अनेक प्रकार से शराब का अवैध कारोबार होता है।
इन सब दुकान पर वह शराब अपने दो पहिया व चार पहिया आदि के माध्यम से सप्लाई की जाती है। यह दो पहिया व चार पहिया जिले में एक प्रोडक्ट की तरह मार्केटिंग करते हुए अवैध शराब का परिवहन करती है। जिसकी जानकारी पुलिस विभाग के साथ-साथ जिला आबकारी विभाग को भी होती है लेकिन जिला आबकारी विभाग द्वारा इस अवैध शराब पर किसी भी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की जाती। जिससे या व्यापार इन साधनों के माध्यम से दिन दुगनी रात चौगुनी के तर्ज पर विकास कर रहा है और ठेकेदार के साथ-साथ आबकारी अधिकारी की जेब भी गर्म कर रहा होगा अन्यथा कार्रवाई न होना समझ से परे है।
आबकारी अधिकारी के संरक्षण में बढ़ रहा अवैध शराब का व्यवसाय
जिला आबकारी अधिकारी द्वारा जब जिले में पदस्थ हुए हैं। संभवत अवैध शराब माफियाओं पर शायद ही कोई बड़ी कार्यवाही की होगी।हां यह जरूर है कि कागजी खानापूर्ति हेतु जिला आबकारी अधिकारी द्वारा कच्ची शराब के केस, महुआ से बनी शराब आदि के केस बना कर इतिश्री कर ली जाती है। आबकारी विभाग द्वारा जिले में जहाँ जहाँ इस तरह की केस बनाए भी गए हो जो मात्र खानापूर्ति कर इतिश्री की गई। जबकि जिले में वह शहर में आसपास के क्षेत्र में दर्जनों दुकानों पर अवैध शराब का परिवहन बिक्री खुलेआम हो रहा। जिसकी जानकारी आबकारी अधिकारी को होने के बाद भी कोई कार्यवाही ना होना। इस ओर संकेत करता है कि सारा अवैध शराब का कारोबार आबकारी अधिकारी के संरक्षण में ही फल-फूल रहा है। आबकारी अधिकारी के गैर जिम्मेदाराना रवैया के व कार्य शैली ने जिले में अवैध शराब का कारोबार बढ रहा है। आज जिले में कहीं पर किसी भी बच्चे से पूछ लिया जाए शराब कहां मिलता है तो आसानी से उस स्थान का पता बता देगा। इस तरह इस आबकारी अधिकारी के कार्यकाल में जिले में अवैध शराब के मामले तेजी से विकास किया है।
आबकारी विभाग को सूचना देने पर पूछने लगते है जन्मकुंडली और इतिहास
आपको थोड़ा अटपटा तो लग रहा होगा लेकिन यह सच है कार्यवाही के नाम पर महुआ शराब कारोबारियों पर एक दो कार्यवाही कर अपनी पीठ थपथपाने वाला आबकारी विभाग कभी भी कोचिया पर कार्यवाही करता नजर नही आया। अगर किसी के द्वारा अवैध कोचियाओ के बारे में जानकारी भी दी जाए तो साहब इतने अनजान बन जाते है। जैसे उन्हें कुछ पता ही न हो और उल्टा सुचान देने वाले से जगह और व्यक्ति का नाम पूछने लगते है। अगर जगह और व्यक्ति का नाम बता दिया जाए तो फिर अगले की जन्मकुंडली और इतिहास पूछने लगते है कि उसके पिता का क्या नाम है। उसके नाना मामा का क्या नाम है,कितने भाई है,क्या खाते है क्या पीते है कैसे रहते है। जबकि आबकारी विभाग को हर वो जगह और आदमी पता है। जहाँ कोचिया शराब बिकती है वही जब महुआ शराब पर कार्यवाही कर अपनी पीठ थपथपाने वाली आबकारी विभाग को कागजी खाना पूर्ति करना होता है तो न जगह पुछते है और नाम और उक्त आदमी तक पहुंच जाते है। यह एक अच्छी बात है लेकिन इसी तरह अगर आबकारी विभाग कोचिया पर भी कार्यवाही करे तो शायद जिले में कुछ हद तक अपराध पर अंकुश लग सकता है।यैसे में एक और सवाल खड़ा होता है कि गांव में शहरों में घर मे बनने वाले महुआ शराब का पता आबकारी विभाग को हो जाता है लेकिन सड़क किनारे ढाबा,किराना दुकान,अंडा दुकान वालो के यहाँ बिकने वाला कोचिया शराब नजर नही आता यैसे में सवाल उठना लाजमी है कि आबकारी विभाग के संरक्षण में कोचिया शराब की बिक्री गांव गांव हो रही है।
शराब के नशे में दोस्त ने ही दोस्त को मौत के घाट उतारा
हाल ही में सिंगरौली जिले में जिस तरफ अपराध बढ़ रहा वाकई में चिंता का विषय बन गया। कुछ दिन पहले शराब के नशे में तीन नाबालिक दोस्तो ने मोबाइल और पैसे की लेनदेन को लेकर अपने ही दोस्त के सर पर बियर की बोतल से हमला करने के बाद हत्या कर दिया था। इसलिए यह लाजमी है कि अगर अवैध कोचिया शराब की बिक्री पर रोक लग जाये तो शायद श्रृंगी ऋषि की इस तपोभूमि पर अपराध कुछ हद तक कम हो जाये।