नीमच, कमलेश सारडा। नीमच जिले की मनासा जनपद की ग्राम पंचायत पड़दा में जांच पूरी होने से पहले ही बडे फर्जीवाड़े और घोटाले का पर्दाफाश हुआ। जहां मनरेगा में मशीन से काम होने की शिकायत पर मौके पर जांच दल पहुंचा तो धामनिया रोड पर कोई भी पर परकोलेशन टैंक का वर्तमान में काम चलना और स्वीकृत होना ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों द्वारा नहीं बताया गया।
अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा जनपद पंचायत मनासा ध्रुव तिवारी द्वारा बताया गया कि जब पंचायत के जिम्मेदारों से जेसीबी से मशीन से खुदाई के लिए पूछा गया तो खुद मशीन मालिक ने आकर अपने बयान दिए कि वह मशीन से खोदकर किसानों के लिए ले जा रहा थे और पंचायत के जिम्मेदारों ने बयान दिया कि धामनिया रोड पर कोई भी परकोलेशन टैंक का कार्य नहीं चल रहा था।
वही जब हमने पंचायत के उपयंत्री मौसम से बात करी तो मौसम ने बताया कि 2020 में एक परकोलेशन टैंक बना था लेकिन वर्तमान में इस वर्ष किसी भी परकोलेशन टैंक का काम चल रहा था इसकी उन्हें जानकारी नहीं है।
इसके बाद जब प्रदेश हलचल की टीम ने पड़ताल करी तो मनरेगा की साइड पर बड़े ही चौकाने देने वाला सच सामने आया जहा ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव रोजगार सहायक और इंजीनियर की मिलीभगत से फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हुआ। जहां किस तरीके से जांच दल को गुमराह करते हुए मौके पर कोई भी परकोलेशन टैंक नहीं बताया। साथ ही कहा गया कि कोई भी पर परकोलेशन टैंक वहां स्वीकृत नहीं हुआ। लेकिन मनरेगा की साइट के अनुसार वर्तमान में मार्च माह में वहां पर परकोलेशन टैंक स्वीकृत किया गया और जुलाई माह में वहां पर मजदूरी दिखाकर लोगों के खाते में 2लाख 92 हजार का भुगतान किया गया। अब सवाल यह खड़ा होता है कि जब मौके पर जांच टीम ने भी जाकर देखा परकोलेशन टैंक नहीं है तो फिर जिम्मेदारों ने फर्जीवाड़ा करते हुए 2 लाख 92 हजार का शासन के पैसों का घोटाला किया तो क्या अब उनसे वसूली होगी।
और इन सब में पंचायत के इंजीनियर साहब की मिलीभगत का पर्दाफाश भी उस समय हुआ जब उन्होंने अपनी जवाबदारी से पल्ला झाड़ते हुए इस संबंध में कोई भी जानकारी नहीं होने की बात कही। अब अगर नियमों की बात करें तो ग्राम पंचायत में मनरेगा के किसी भी काम को शुरू होने से पहले उपयंत्री को लेआउट देना होता है उसके बाद ही जिओ ट्रैकिंग रोजगार सहायक करके मनरेगा के मस्टर जारी होते हैं और साइड पर मजदूरों से काम करवाया जाता है। हम आपको बता दें कि मनासा जनपद के केसी यादव के अनुसार बिना उपयंत्री के परकोलेशन टैंक की साइड का लेआउट नहीं हो सकता। इंजीनियर को ही लेआउट डालना होता है। तभी मजदूरों के खाते में राशि जाती है।
ऐसे में ग्राम पंचायत पड़दा में हुए घोटाले में कहीं न कहीं उपयंत्री की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। कहीं पड़दा में चल रहे इस फर्जीवाड़े और घोटाले में उपयंत्री साहब की अहम भूमिका तो नहीं।
खैर जो भी हो जांच दल ने अपना प्रतिवेदन बना लिया है अब जल्द वरिष्ठ अधिकारियों को दिया जाएगा। देखना यह होगा कि मौके पर परकोलेशन टैंक नहीं है और उसका पैसा जिम्मेदारों द्वारा निकाल लिया गया तो मामले में क्या दोषियों पर साहब मेहरबानी बनाएंगे या फिर उन्हें अब सलाखों के पीछे पहुंचाते हुए शासन का पैसा उनसे वसूला जाएगा।
यह है जिम्मेदारों का कहना
जनपद सीईओ साहब के निर्देशों पर जांच करने के लिए पड़दा पहुंचे थे। जहां पर मनरेगा में मशीनों से चल रहे काम को लेकर हम धामनिया रोड पर मौके पर पहुंचे लेकिन वर्तमान में सरपंच सचिव व रोजगार सहायक ने बयान दिया, वहां पर कोई भी परकोलेशन टैंक का काम नहीं चल रहा था।
साथ ही जो मशीन से खुदाई का विडियो आया था उसको लेकर जेसीबी संचालक ने अपना बयान दिया कि किसानों के लिए खोदकर मिट्टी ले जाई जा रही थी। अगर आप बता रहे हैं कि मनरेगा साइट पर वर्तमान में 2 लाख 92 हजार का भुगतान किया गया है। तो मैं साइट चेक करूंगा और निष्पक्ष प्रतिवेदन बनाकर वरिष्ठ अधिकारियों को दिया जाएगा। – ध्रुव तिवारी, अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी, मनरेगा जनपद पंचायत मनासा!
पड़दा ग्राम पंचायत के धामनिया रोड पर एक ही परकोलेशन टैंक बना था वर्ष 2020 में। अभी इस वर्ष का मेरे संज्ञान में नहीं है मुझे देखना पड़ेगा। परकोलेशन टैंक में लेआउट उपयंत्री के अलावा कोई भी दे सकता है। पंचायत में बहुत सारे नियम होते। – मौसम मेरावंडिया, उपयंत्री मनासा।
ग्राम पंचायत में परकोलेशन टैंक में लेआउट उपयंत्री को ही देना होता है। जिसके बाद ही काम शुरू होकर पैसा हितग्राहियों के खातों में जाता है। फिलहाल जो जानकारी आपने बताई उसे मैं दिखवाता हूं। – केसी यादव एई जनपद मनासा।