जबलपुर, संदीप कुमार। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) ने प्राइवेट अस्पतालों (Private hospitals) को ज्यादा भुगतान के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है और याचिकाकर्ता पर एक लाख का जुर्माना लगाया है। वही कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर समय बर्बाद करने और तथ्यहीन मामला रखने पर भी नाराजगी जताई है।
दरअसल, यह याचिका भोपाल के एक्टिविस्ट भुवनेश्वर मिश्रा (Bhopal activist Bhubaneswar Mishra) ने लगाई थी , जिसमें उन्होंने दावा किया था कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की देखभाल के नाम पर सरकार ने घोटाला किया है। मिश्रा ने अपनी याचिका में कहा था कि राज्य सरकार (State Government पर आरोप लगाते हुए कोर्ट से कहा था कि निजी अस्पतालों को फायदा पहुंचाने के लिए अधिक भुगतान किया जा रहा है।
मिश्रा ने राज्य सरकार की ओर से निजी अस्पतालों को कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल बनाने और प्रत्येक मरीज पर होने वाले 5400 रुपए के खर्च को जनहित याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिका में राज्य सरकार पर आरोप लगाए गए थे कि निजी अस्पतालों को फायदा पहुंचाने के लिए अधिक भुगतान किया जा रहा है, इस पर जवाब पेश किया गया था कि आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Scheme) के मुताबिक ही राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों को भुगतान किया।इसके बाद हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है।
वही हाईकोर्ट (High Court) ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि बिना तथ्यों के इस तरह जनहित याचिका लगाकर कोर्ट का समय बर्बाद किया गया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता भुवनेश्वर मिश्रा (Bhubaneswar Mishra) पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए अगले दो महीने में सीएम रिलीफ फंड (CM Relief Fund) में जमा करने का आदेश जारी दिया है।