इस दौरान जहां वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (prime minister Narendra Modi) के साथ बैठक करेंगे। वही 11:00 बजे से शुरू होने वाली इस बैठक में मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण सहित आर्थिक व्यवस्थाओं पर चर्चा की जाएगी। हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश बीजेपी (MP BJP) तथा संगठन के कार्यों का ब्यौरा भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उपलब्ध करवाएंगे। बता दें कि इससे पहले मध्य प्रदेश में वीडी शर्मा (VD Sharma) के नेतृत्व में कार्यकारिणी का गठन कर दिया गया है। वहीं जिला कार्यकारिणी गठित को लेकर तैयारियां शुरू कर दी है।
इसी बीच मध्य प्रदेश दौरे पर रहें ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) के रुख को लेकर कई तरह की कवायद तेज हो गए हैं। मध्य प्रदेश दौरे के बाद से लगातार मोदी कैबिनेट (Modi cabinet) के विस्तार और ज्योतिरादित्य सिंधिया को रेल मंत्रालय (rail ministry) सौंपे जाने की खबर सियासी गलियों में आम हो गई है। केंद्रीय नेतृत्व के तरफ से अभी तक कैबिनेट विस्तार को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि मानसून सत्र (monsoon session) से पहले कैबिनेट का विस्तार किया जा सकता है।
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इधर कांग्रेस द्वारा लगातार पार्टी से बागी बन कर BJP में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया को निशाना बनाया जाता रहा है। बीते दिनों राज्य के पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह (jaivardhan singh) ने भाजपा के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हमला बोला था। इस दौरान जयवर्धन सिंह ने कहा था कि जब से सिंधिया भाजपा में गए हैं, तब से वहां गुटबाजी और भी गहरी हो गई है। इतना ही नहीं सिंह ने कहा था कि कांग्रेस में Scindia का महत्वपूर्ण स्थान था लेकिन सिंधिया को अपने भविष्य की चिंता करनी चाहिए। मीडिया से चर्चा के दौरान सिंह ने एक सवाल किया कि आखिर बीजेपी में सिंधिया की जगह क्या है?
बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है जब इस तरह के सवाल पूछे गए हैं। इससे पहले भी कई बार बीजेपी में सिंधिया के जगह को लेकर चर्चाएं होती रही है। हालांकि जयवर्धन सिंह ने कहा कि सिंधिया के मंत्री का नेताओं और कार्यकर्ताओं से हमेशा विवाद रहता है। जिस वजह से कार्यकर्ता और बीजेपी सहित संघ काफी खफा है।
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बता दें कि सिंधिया ने मार्च 2020 में अचानक से मध्य प्रदेश की सियासत में बड़ा उलटफेर करते हुए कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। इस दौरान 22 कांग्रेस विधायक भी सिंधिया के पीछे बीजेपी में शामिल हो गए थे। राज्य में कमलनाथ की सरकार गिर गई थी। इतना ही नहीं सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हुए विधायकों में कमलनाथ सरकार के छह मंत्री भी शामिल थे।
वही शिवराज सरकार की सत्ता में वापसी के बाद से ही बीजेपी में सिंधिया की जगह को लेकर सवाल होते हैं। बीजेपी में सांसद बनने के बाद सिंधिया ने आक्रामक शैली अपनाई थी। इस दौरान वह कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर हावी हुए थे। एक बार फिर प्रदेश बीजेपी में सिंधिया समर्थकों को जगह दिए जाने के बाद सिंधिया का एक अलग ही रूप देखने को मिला है। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि जल्द ही मोदी कैबिनेट का विस्तार कर सिंधिया को एक महत्वपूर्ण ओहदा दिया जा सकता है। जिसके बाद आगामी विधानसभा चुनाव में सिंधिया का रुख बीजेपी के लिए प्रभावी साबित हो।