ग्वालियर, अतुल सक्सेना। अपनी छह सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल (Strike) पर चल रहे जूनियर डॉक्टर्स (Junior Doctors) ने अब एक बड़ा कदम उठाया है। ग्वालियर के जीआर मेडिकल कॉलेज (GR Medical College) के 330 जूनियर डॉक्टर्स (Junior Doctors) ने सरकार पर वादाखिलाफी के आरोप लगाते हुए सामूहिक इस्तीफा दे दिया। ग्वालियर के साथ ही मध्यप्रदेश के सभी 3000 जूनियर डॉक्टर्स (Junior Doctors) ने सामूहिक इस्तीफा (Mass Resignation) दे दिया। जूनियर डॉक्टर्स (Junior Doctors) ने कहा कि सरकार ना हमारी बात मान रही है और ना ही हमसे कोई संवाद करना चाहती है ऐसे में हमारे पास सिर्फ इस्तीफे का ही रास्ता बचता है। उधर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) ने जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल को अवैध घोषित करते हुए इसकी निंदा की है और जूनियर डॉक्टर्स (Junior Doctors) को 24 घंटे में काम पर वापस लौटने के लिए कहा है।
ग्वालियर के गजराराजा मेडिकल कॉलेज (GR Medical College) के 330 जूनियर डॉक्टर कॉलेज के प्रभारी डीन डॉ समीर गुप्ता से मिले और उन्हें अपने सामूहिक इस्तीफे सौंप दिए। डॉक्टर्स का कहना है कि ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर्स के साथ मध्यप्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज के 3000 जूनियर डॉक्टर्स ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है।
जीआर मेडिकल कॉलेज ग्वालियर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की वाइस प्रेसिडेंट डॉ अंकिता त्रिपाठी ने कहा कि हम लोग चार दिन से हड़ताल पर थे। सरकार से लगातार संवाद की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने सरकार के सामने छह सूत्रीय मांगे रखीं थी लेकिन सरकार कह रही है कि चार मांग मान ली लेकिन वो कौन सी मांग हैं हमें नहीं पता। हम चार दिन से हड़ताल पर हैं कम से कम चिकित्सा शिक्षा मंत्री हमारे प्रतिनिधियों से बात तो करें लेकिन सरकार ये कर ही नहीं रही। जूनियर डॉक्टर्स ने कहा कि हमारे साथ ही ऐसा व्यवहार क्यों हो रहा है?
उधर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण के समय हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टरों के कृत्य की निंदा की है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस विपत्ति के समय जबकि जनता को उनकी जरूरत है बावजूद इसके हड़ताल पर जाना कहीं से भी सही नहीं है। वर्तमान में डॉक्टरों के लिए एक महत्वपूर्ण समय हैं और ऐसे समय में अगर जूनियर डॉक्टर्स अपने कर्तव्य से विहीन होते हैं तो उनके इस काम की कतई सराहना नहीं की जा सकती।
हड़ताल अवैध घोषित
जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने को लेकर हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक एवं जस्टिस सुजय पॉल ने अपना फैसला सुनाते हुए जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल को अवैध घोषित किया है। हाईकोर्ट ने जूनियर डॉक्टर्स को सख्ती से निर्देश दिए हैं कि अगर 24 घंटे के अंदर जूनियर डॉक्टर अपने काम पर वापस नहीं आते हैं तो ऐसे में राज्य सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....