नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कोर्ट ने कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को टेरर फंडिंग मामले में दोषी पाया है। हालांकि, इससे पहले यासीन मलिक ने कुछ दिनों पहले ही खुद कबूला था कि वह कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल था। इस मामले में उसे कितनी सजा मिलेगी इस पर फैसला 25 मई को होगा।
बता दे यासीन मालिक पर UAPA के तहत देशद्रोह की धारा लगी थी। मलिक ने स्वीकार कर लिया था कि वह आतंकी गतिविधियों में शामिल था और उसने आपराधिक साजिशें भी रची थीं। यासीन फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है।
राजनीति में सक्रिय रहा है यासीन मलिक
यासीन मलिक जम्मू- कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) से जुड़ा है। वह घाटी की राजनीति में काफी सक्रिय रहा है। कश्मीरी युवाओं को भड़काने में उसने मुख्य भूमिका निभाई है वहीं उस पर 1990 में एयरफोर्स के 4 जवानों की हत्या और कश्मीर के तत्कालीन ग्रह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण का भी आरोप हैं, जिसे उसने काबुल कर लिया था।
इसके अलावा मलिक पर पाकिस्तानी आतंकियों के साथ संबंध रखने के आरोप लगते रहे हैं। साल 2013 में यासीन मलिक ने लश्कर ए तैयबा चीफ हाफिज सईद के साथ पाकिस्तान में भूख हड़ताल की थी। यह भूख हड़ताल अफजल गुरु को फांसी देने के विरोध में की गई थी। भारत में इसे लेकर काफी विरोध हुआ था।
आपको बता दे, यासीन मलिक पर यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी गतिविधि), 17 (आतंकवादी गतिवधि के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश रचने), व 20 (आतंकवादी समूह या संगठन का सदस्य होने) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) व 124-ए (देशद्रोह) धाराओं में मामला दर्ज है, ऐसे में उसको अधिकतम आजीवान कारावास की सजा मिल सकती है।