भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (madhya pradesh) में एक बार फिर से दवा खरीदी (Drug purchase) के नाम पर हुए घोटाले में लोकायुक्त की जांच शुरू की गई है। बता दें कि इस मामले में राजेश राजौरा (Rajesh Rajaura) सहित तीन वरिष्ठ अफसरों को आरोपी बनाया गया था। जहां 37 लाख के इंजेक्शन खरीदी injection purchase) मामले में विशेष कोर्ट ने खत में रिपोर्ट की ख़ारिज की है। वहीं अब 5 नए बिंदुओं पर जांच सौंपी जाएगी।
दरअसल मामला 14 साल पुराना है। जहां 2006 मैं स्वास्थ्य विभाग द्वारा 37.46 लाख के स्टेपटोमायसिन इंजेक्शन की खरीदी बिना जरूरत के हुई थी। जिसके बाद लोकायुक्त ने दवा खरीदी के मामले में वर्ष 2007 में स्वयं संज्ञान लेते हुए इस मामले में जांच शुरू की थी। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त डॉ राजेश राजौरा, प्रशासनिक अधिकारी एमएम माथुर, अशोक विरांग और योगराज शर्मा के खिलाफ जांच शुरू की गई थी। इन अफसरों को कर्नाटक एंटीबायोटिक्स और फार्मास्यूटिकल्स (Karnataka Antibiotics and Pharmaceuticals) के बिना मांग के दवा खरीदने पर भ्रष्टाचार की जांच के दायरे में लिया गया था।
Read More: Jabalpur News: किसान नेता राकेश टिकैत की सभा में 50 हजार ट्रैक्टर होंगे शामिल!
जहां जांच के दौरान लोकायुक्त ने पाया कि किसी भी जिले में इंजेक्शन की मांग नहीं की गई थी। वहीं बिना मांग 20 अप्रैल 2007 को भी इंजेक्शन खरीदे गए थे। हालांकि दवा खरीदी में 7 साल पहले ही लोकायुक्त पुलिस (lokayukt police) द्वारा रिपोर्ट तैयार किया गया था। जिसे स्पेशल जज राकेश कुमार शर्मा ने 6 मार्च को खारिज कर दिया था। वही कोर्ट के निर्देश पर 7 साल के पहले खात्मा लगे मामले में अब एक बार फिर से जांच शुरू की जाएगी।
बता दे कि अब इस मामले में गृह विभाग के एसीएस राजेश राजौरा समेत स्वास्थ्य के तीन अन्य अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग का मामला चलाया जाएगा। वहीं स्वास्थ्य विभाग के कई अफसर अब तक रिटायर हो चुके हैं। जबकि कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पाया कि अनुसंधानकर्ता अधिकारी द्वारा कोई साक्ष्य भी नहीं जुटाए गए हैं।