भोपाल। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आरिफ अकील का मानना है कि किसी भी शहर, गांव या कस्बे के काजी के लिए कोई अलग पहचान नहीं है। जिससे किसी भीड़ में उन्हें अपनी शिनाख्त देना या पहचान बताने की मजबूरी बनी रहती है। ऐसा कोई लिबास, सर्टिफिकेट या पहचान हो, जिससे इन्हें अलग से पहचाना जा सके। 9 फरवरी को राजधानी में प्रदेशभर के काज़ियों की एक अहम बैठक इसी मुद्दे को लेकर बुलाई जा रही है।
जिसमें प्रदेशभर के काजियों के लिए कुछ नए मसौदे तैयार किए जाएंगे। मंत्री अकील ने बताया कि 9 फरवरी को मसाजिद कमेटी के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन प्रदेशभर के काजियों की मौजूदगी में होगा। इस दौरान होने वाले एक खास मुलाकाती प्रोग्राम के दौरान काजियों के लिए कोई ड्रेस कोड लागू करने या उनके लिए आइडेंटी कार्ड लागू करने पर विचार किया जाएगा। अकील का मानना है कि अपनी एक अलग पहचान न होने के चलते काजियों को अकसर आम लोगों की तरह व्यवहार से गुजरना पड़ता है। जबकि महजब-ए-इस्लाम में काजी का मर्तबा बहुत ऊंचा है और उन्हें खास तवज्जो और आदर-सत्कार मिलना चाहिए। अकील ने बताया कि मसाजिद कमेटी के नवनिर्मित भवन के उद्घाटन के मौके पर जमा होने वाले काजियों को हज के दौरान काम आने वाली बातों को लोगों तक पहुंचाने की अपील भी की जाएगी। ताकि लोग अपना वक्त, मेहनत और पैसा खर्च करने बाद पूरी तरह से मुकम्मल हज करके लौटें।