भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना (corona) की दूसरी लहर (second wave) ने भारत में तांडव मचाया है। भारी संख्या में लोगों की मौत हुई है। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा MP Board 10वीं और 12वीं की परीक्षा स्थगित की गई है। मध्य प्रदेश सरकार ने भी 10वीं की परीक्षा रद्द (exam cancel) कर दिया जबकि 12वीं की परीक्षा पर अब तक कोई निर्णय नहीं आया है।
हालांकि MP Board परीक्षा नहीं कराए जाने के बाद माध्यमिक शिक्षा मंडल (Board of Secondary Education) को करोड़ों रुपए की आमदनी हुई है। महज परीक्षा शुल्क की बात करें तो माध्यमिक शिक्षा मंडल ने 70 करोड़ रुपए की बचत की है। वहीं अब माशिमं द्वारा स्कूलों को आदेश जारी किया गया। जहां प्रायोगिक परीक्षा (practical exam) के लिए आवंटित की गई, राशि को मंडल के खाते में जमा करने के आदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल ने स्कूलों को दिए हैं। अब इस पर विवाद की स्थिति हो गई है।
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मध्यमिक शिक्षा मंडल के स्कूलों का आदेश देने के बाद अब प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन द्वारा माध्यमिक शिक्षा मंडल से विद्यार्थियों को परीक्षा शुल्क हटाने की मांग की गई है। इस मामले में प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह का कहना है MP Board 10वीं की परीक्षा रद्द कर दी गई है तो विद्यार्थियों को परीक्षा शुल्क वापस किया जाना चाहिए।
एसोसिएशन द्वारा कहा गया कि मंडल द्वारा सभी स्कूलों से प्रैक्टिकल फीस वापस मांगी जा रही है तो विद्यार्थियों की फीस भी माध्यमिक शिक्षा मंडल को लौटा देनी चाहिए। हालांकि माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव उमेश कुमार सिंह ने कहा की MP Board 10वीं की परीक्षा की पूरी तैयारी के लिए कर ली गई थी। अब एसोसिएशन द्वारा इस मांग पर विद्यार्थियों की फीस वापस करने के संबंध में अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
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बता दें कि इस साल 10 लाख विद्यार्थी परीक्षा में शामिल होने वाले थे। अब ऐसी स्थिति में अगर विद्यार्थियों के सिर्फ परीक्षा फॉर्म के सामान्य शुल्क की बात की जाए तो माध्यमिक शिक्षा मंडल को करोड़ों की आमदनी हुई है। बावजूद अगर माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा प्रश्न पत्र, उत्तर पुस्तिका को तैयार करने और प्रैक्टिकल के लिए जिलों को राशि भेजने में 10 से 15 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए हैं तो भी मंडल को 70 करोड़ से अधिक रुपए की बचत निश्चित हुई है।
वही माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा स्कूलों को प्रायोगिक परीक्षा के लिए आवंटित की गई। राशि मंडल के खाते में जमा करने के आदेश के बाद अब इस पर विवाद की स्थिति हो गई है। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन द्वारा की गई मांग पर माध्यमिक शिक्षा मंडल की तरफ फिलहाल निर्णय का विचार किया जा रहा है।