भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (madhya pradesh) में पहली से आठवीं कक्षा तक के लिए प्रदेश के सरकारी स्कूलों (government school) में छात्रों का मूल्यांकन और प्रोजेक्ट के आधार पर किया जाएगा। जिसके लिए अर्धवार्षिक मूल्यांकन जनवरी महीने में और वार्षिक मूल्यांकन फरवरी और मार्च महीने में किया जाना है। बावजूद इसके अब तक स्कूलों द्वारा बच्चे को प्रोजेक्ट की टॉपिक नहीं बांटी गई है। जिससे प्रदेश भर में पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए परेशानियां बढ़ने वाली है।
दरअसल मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) ने ऐलान किया था कि पहली से आठवीं तक की कक्षाएं 31 मार्च तक बंद रहेगी। इसके बाद इन कक्षाओं के विद्यार्थियों का मूल्यांकन वर्कशीट (worksheet) और प्रोजेक्ट (project) के आधार पर किए जाने के निर्देश विभाग द्वारा दिए गए थे। मूल्यांकन के लिए जनवरी में टेस्ट लिए जाएंगे। जिसमें 60% अंक वर्कशीट के लिए वही 40% अंक प्रोजेक्ट के लिए मान्य किए गए थे। बावजूद इसके प्रदेश के बच्चों को अब तक प्रोजेक्ट के विषयों की जानकारी नहीं दी गई है। वही स्कूल भी इस मामले में दुविधा की स्थिति में है। जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ सकता है।
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ज्ञात हो कि इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा मंडल ने सभी शासकीय स्कूल के लिए निर्देश जारी किए थे। जिसमें कहा गया था कि विद्यार्थियों की अर्धवार्षिक मूल्यांकन 20 से 31 जनवरी के बीच वही वार्षिक मूल्यांकन 10 से 25 फरवरी और 8 से 20 मार्च के बीच किया जाएगा। रिजल्ट का निर्धारण भी अर्धवार्षिक-वार्षिक परीक्षा के प्राप्त अंकों के आधार पर किया जाएगा।
पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों के लिए अभ्यास पुस्तिका दी जाएगी। जिसे उन्हें घर पर ही रहकर पूरा करना है। वहीं तीसरे से आठवीं तक के बच्चों को वर्कशीट के साथ-साथ प्रोजेक्ट वर्क दिया जाएगा। जहां एक तरफ बच्चों को वर्कशीट में प्रश्नों के उत्तर को पूरा करना होगा। वही 40% अंक बच्चों को प्रोजेक्ट के माध्यम से दिए जाएंगे। प्रोजेक्ट घर में उपलब्ध रोजमर्रा की सामग्री के आधार पर बनाए जाएंगे। जिसमें बच्चे घरवालों की सहायता लेंगे।
हालांकि इस मामले में विभागीय अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी विद्यार्थी का प्रोजेक्ट वर्क पूरा नहीं होने पर या प्रोजेक्ट अधूरे रहने पर उसे पिछले कक्षा में जाने से रोका नहीं जाएगा। बावजूद इसके प्रोजेक्ट की स्पष्टता नहीं होने की वजह से प्रदेश के स्कूलों में अपने बच्चों को प्रोजेक्ट के विषय उपलब्ध नहीं कराए गए और ना ही उनसे प्रोजेक्ट बनवाया गया है। ऐसी स्थिति में जनवरी के तीसरे सप्ताह से शुरू होने वाले मूल्यांकन कार्य में बच्चों के अंको का मूल्यांकन किस तरह किया जाएगा। यह बड़ा सवाल है।