भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (madhya pradesh) में तबादला (transfer) का इंतजार कर रहे अधिकारी-कर्मचारियों को अभी कुछ दिन और इंतजार करना होगा। प्रदेश में नई तबादला नीति (New Transfer Policy) के तहत अधिकारी कर्मचारियों के तबादले कुछ महीने बाद किए जाएंगे। दरअसल सूत्रों की माने तो फिलहाल सरकारी कर्मचारियों के तबादले करने के पक्ष में शिवराज सरकार (shivarj government) नजर नहीं आ रही है। इसके लिए विभिन्न विभागों (different departments) द्वारा तबादले के प्रस्ताव को रोक दिया गया है।
दरअसल मध्यप्रदेश में कई महीनों से अधिकारी कर्मचारियों के तबादले पर रोक लगी हुई है। इसके लिए वापस सत्ता में लौटी शिवराज सरकार द्वारा नई तबादला नीति तैयार की गई थी। जिसके बाद कई वरिष्ठ अधिकारी सहित कर्मचारियों के तबादले होने थे। वही कोरोना (corona) की पहली लहर के कारण सरकार द्वारा सभी मैदानी कर्मचारियों के तबादले पर रोक लगा दी गई थी।
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पहली लहर के खत्म होते ही नई तबादला नीति के तहत अधिकारी कर्मचारियों के तबादले होने थे लेकिन दूसरी लहर के दस्तक के बीच मैदानी कर्मचारियों के तबादले अधूरे रह गए। बता दें कि इससे पहले मध्य प्रदेश में स्वैक्षिक तबादला करवाने वाले अधिकारी कर्मचारियों के आवेदन लाखों में बताए गए थे।
ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा तबादला स्कूल शिक्षा विभाग में होना है। स्कूल शिक्षा विभाग में करीब 2 लाख से अधिक शिक्षकों के तबादले होने हैं। इसके अलावा कई अन्य विभागों में भी लाखों तबादले होने हैं। वही तबादला नीति को शुरू करने से पहले मंत्रियों को जिले का प्रभार सौंप दिया गया है। नई तबादला नीति के तहत मंत्री आदेश जारी कर सकेंगे।
नई तबादला नीति के तहत अगर किसी क्लास वन ऑफिसर का तबादला किसी द्वेष भावना, जानबूझकर किया जाता है तो अधिकारी इस मामले की शिकायत मुख्य सचिव से लेकर मुख्यमंत्री तक कर सकेंगे और उनके इस मामले का निराकरण वहीं पर सीएम द्वारा किया जाएगा। हालांकि यह नियम अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों पर लागू नहीं होंगे।वहीँ शिक्षा विभाग के लिए तबादले के अलग नियम तय किये जायेंगे।