दरअसल मध्य प्रदेश प्रमोशन में आरक्षण से जुड़ी रिपोर्ट राज्य शासन द्वारा तैयार करने की जिम्मेदारी 4 आईएएस अधिकारियों की कमेटी को सौंपी गई थी। इस कमेटी में सीनियर आईएएस अधिकारी ए पी श्रीवास्तव, विनोद कुमार, राजेश राजौरा और मनीष रस्तोगी को शामिल किया गया था। जिन्होंने अपनी रिपोर्ट राज्य शासन को सौंप दी है।
सूत्रों की माने तो रिपोर्ट में सामान्य श्रेणी पर आरक्षित श्रेणी के व्यक्ति द्वारा प्रमोशन लिए जाने पर सामान्य श्रेणी की ही प्रक्रिया से अपनी सर्विस पूरी करनी होगी। सामान्य श्रेणी से प्रमोशन का रास्ता योग्यता और वरिष्ठता प्रक्रिया पर निर्धारित होगा।
वहीं सामान्य श्रेणी के रिक्त पद पर यदि कोई आरक्षित वर्ग कर्मचारी प्रमोशन लेता है तो उसके बाद वह सामान्य श्रेणी के ही प्रक्रिया से आगे प्रमोशन का हकदार माना जाएगा। इसके लिए उसे दोबारा आरक्षित वर्ग का लाभ नहीं मिलेगा। इसके अलावा सौंपी गई रिपोर्ट में योग्यता को वरीयता दी गई है। जिसमें क्लास वन ऑफिसर (class 1 officer) के लिए योग्यता के साथ वरिष्ठता का फार्मूला तय किया जाएगा। इसके अलावा उनकी क्वालीफाइंग सर्विस में 5 साल की एसीआर (ACR) देखी जाएगी।
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जबकि क्लास टू के अधिकारी (class 2 officer) के समय प्रमोशन की प्रक्रिया बदल जाएगी। जिसमें योगिता को पीछे और वरिष्ठता को पहले नंबर पर आँका जाएगा और ऐसे में सिर्फ वरिष्ठता की सूची के आधार पर अधिकारियों को प्रमोशन दिया जाएगा। इसके अलावा पटवारी से आरआई के पद पर सामान्य आरक्षित श्रेणी में भी कर्मचारी का प्रमोशन होगा। आगे भी उसी श्रेणी में अधिकारियों को नायब तहसीलदार के पद पर पदोन्नति दी जाएगी।
बता दें कि एसएएस (SAS) का आईएएस (IAS) और एसपीएस (SPS) के आईपीएस (IPS) में प्रमोशन पर इन पदोन्नति में आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिलेगा। वहीं शिक्षक संवर्ग में एलडीटी से यूडीटी और लेक्चरर के पद पर भी क्लास टू के फार्मूले को लागू किया जाएगा जबकि कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल के लिए सामान्य आरक्षित जीत स्वर पर पदोन्नति होगी आगे भी उसी की प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।
ज्ञात हो कि कर्मचारियों की याचिका पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अप्रैल 2016 से ही लोक सेवा पदोन्नति नियम 2002 को खारिज कर दिया था। इसके साथ ही प्रमोशन पर रोक लगा दी गई थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के निर्णय को यथास्थिति रखने का निर्णय दिया था। हालांकि अब राज्य सरकार द्वारा सशर्त पदोन्नति का मार्ग निकाला जा रहा है वहीं राज्य सरकार का मानना है कि 2021-22 और 2022-23 में प्रदेश में सबसे ज्यादा रिटायरमेंट होंगे क्योंकि प्रदेश के अधिकतर भर्ती 1983-84 की है ऐसे में जल्द ही नए नियम बनाए जा सकते हैं।