MP School: निजी स्कूलों के लिए राज्य शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला, छात्रों को मिलेगा लाभ

Kashish Trivedi
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। शिक्षा के अधिकार के तहत निजी स्कूलों (private schools) में निम्न आय वर्ग के विद्यार्थियों को निशुल्क प्रवेश दिया जाता है। वहीं इसकी फीस शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत राज्य शासन के द्वारा वहन किया जाता है। वही राज्य शिक्षा आयुक्त (State education commissioner) ने अब निजी स्कूल की फीस प्रतिपूर्ति मामले में आदेश जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि अब विभाग बिना सत्यापन के सीधे खातों में पैसा डाले। माना जा रहा है कि कोरोना महामारी (corona pandemic)  में हुई क्षतिपूर्ति को देखते हुए निजी स्कूलों को यह विशेष रियायत दी जा रही है।

दरअसल राज्य शिक्षा आयुक्त ने सभी जिला कलेक्टरों को आदेश जारी किया। जिसमें कोरोना महामारी में विशेष रियायत देते हुए विभाग द्वारा बिना सत्यापन के निजी स्कूलों के खाते में पैसे दिए जाने के निर्देश जारी किए हैं। राज्य शिक्षा आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि सत्र 2019-20 में शिक्षा के अधिकार के तहत निजी स्कूलों में निशुल्क अध्ययनरत बच्चों की संख्या और निजी स्कूलों द्वारा अन्य बच्चों से ली जाने वाली फीस में प्रति छात्र 5116 की राशि, इनमें से जो भी कम हो।

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इसको मान के पात्रता दी जानी चाहिए और इस संबंध में गैर अनुदान और मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को अग्रिम रूप से 20 फ़ीसदी राशि फीस प्रतिपूर्ति की दी जाए। कहा जा रहा था कि फीस प्रतिपूर्ति के लिए अधिकारियों को प्रस्ताव के सत्यापन में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। जिसके बाद राज्य शिक्षा केंद्र ने बिना सत्यापन के सीधे खाते में पैसा डालने के निर्देश दिए हैं।

इस मामले में सन 2019-20 की फीस प्रतिपूर्ति के लिए राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा जिला शिक्षा केंद्र को 96 करोड़ रुपए भेजे जा चुके हैं।वहीं फीस क्षतिपूर्ति के लिए जिला शिक्षा केंद्र में निजी स्कूलों के बैंक डिटेल की जानकारी पहले से उपलब्ध होने की वजह से पात्रता अनुसार निजी स्कूलों के बैंक खाते में फीस प्रतिपूर्ति की 20% राशि ट्रांसफर की जाए।

बता दें कि प्रदेश में निजी स्कूलों में कई ऐसे लंबित मामले हैं। जहां निशुल्क प्रवेश की फीस प्रतिपूर्ति नहीं की गई है। इससे पहले निजी स्कूलों द्वारा राज्य शिक्षा केंद्र में अर्जी दी गई थी। फीस प्रतिपूर्ति नहीं मिलने की वजह से निजी स्कूलों का कहना था कि अब मध्यमवर्गीय और गरीब बच्चों को स्कूलों में निशुल्क प्रवेश नहीं दिया जाएगा। जिसके बाद राज्य शिक्षा केंद्र ने आवश्यक राशि भेज कर 15 दिन के अल्टीमेटम पर सभी निजी स्कूलों में लंबित प्रस्ताव के निराकरण के आदेश जारी किए थे ताकि मध्यमवर्गीय और गरीब बच्चों की शिक्षा व्यवस्था में किसी भी तरह की कमी ना आए।


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