भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश स्कूलों (MP School) को लेकर लगातार शिवराज सरकार (Shivraj government) पालकों के हित में फैसले ले रही है। वहीं कोरोना काल (corona period) में निजी स्कूलों (private schools) के शिक्षण शुल्क बढ़ोतरी पर हाईकोर्ट (highcourt) ने रोक लगा दी थी। बावजूद इसके अभिभावक शिक्षण शुल्क भी जमा नहीं कर रहे हैं। वहीं प्रदेश में अब 9वीं से 12वीं तक की कक्षाएं भी नियमित रूप से संचालित की जाने लगी है। जिसको देखते हुए मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग (Madhya Pradesh School Education Department) ने आदेश जारी किया था।
दरअसल स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी जिले के कलेक्टर एवं संभागीय संयुक्त संचालक सहित जिला शिक्षा अधिकारी को आदेश दिया कि निजी स्कूल में पढ़ने वाले सभी कक्षाओं के छात्रों के बकाया शिक्षण शुल्क सत्र के अंत तक पालकों की सुविधा के अनुसार एकमुश्त या किस्तों में लिया जा सकता है। स्कूल शिक्षा विभाग ने कहा है कि कक्षा 9वीं से बारहवीं तक के विद्यार्थी के लिए जनवरी से सत्र के अंत तक फीस (fees) ली जा सकेगी।
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हालांकि इस मामले में जारी निर्देश में कहा गया कि शिक्षण शुल्क के अतिरिक्त अन्य किसी भी तरह के शुल्क स्कूलों द्वारा प्रस्तावित नहीं की जाएगी और ना ही आगामी आदेश तक अशासकीय विद्यालय (private school) कोई शुल्क वृद्धि कर सकेंगे। इतना ही नहीं स्कूल शिक्षा विभाग ने अपने आदेश में कहा है कि यदि अभिभावक शिक्षण शुल्क जमा नहीं करते हैं तो छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट (promote) नहीं किया जाएगा।
इसके साथ ही स्कूल शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों को निर्देश जारी करते हुए कहा है स्कूलों में काम करने वाले सभी कर्मचारियों के वेतन भुगतान से 20% से ज्यादा वेतन की कटौती न की जाए। वही उनके वेतन का उन्हें समय पर भुगतान किया जाए। इसके साथ ही स्कूल शिक्षा विभाग ने कहा है कि कोरोना की स्थिति में सुधार होने के साथ ही कर्मचारियों की कटौती वेतन को किस्तों में वापस लौटा दिया जाएगा।