नरोत्तम मिश्रा ने राम मंदिर के चंदे को लेकर साधा दिग्विजय पर निशाना, कहा- चेक हो सकता है बाउंस

भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Former Chief Minister Digvijay Singh) अपने विवादित बयानों के चलते आए दिन सुर्खियों में रहते हैं। एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Former Chief Minister Digvijay Singh) ने अपने बयान से चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है। दिग्विजय सिंह द्वारा राम जन्म भूमि ट्रस्ट (Ram Janma Bhoomi Trust) को राम मंदिर निर्माण (Ram temple construction) के लिए 1 लाख 11 हजार 111 रुपए का चंदा (Donation) भेजा गया है। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा पत्र लिखकर पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से अपील की गई है कि चंदा इकट्ठा करने का काम सौहार्दपूर्ण वातावरण में किया जाए, साथ ही उन्होंने कहा कि जनता के सामने विश्व हिंदू परिषद पुराने चंदे का लेखा-जोखा रखें।

दिग्विजय सिंह के इस बयान को लेकर सियासत गरमा गई है। वहीं मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा (Home Minister Narottam Mishra) ने दिग्विजय सिंह पर निशाना साधा है। मीडिया से चर्चा करते वक्त गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा (Home Minister Narottam Mishra) ने कहा कि मैंने जो पढ़ा है उसमें मुझे शाब्दिक त्रुटि लग रही है, जिससे चेक बाउंस (Cheque Bounce) हो सकता है। खैर चेक बाउंस हो या ना हो या अलग बात है। दिग्विजय सिंह चेक दे भी इसलिए रहे हैं क्योंकि वह हिसाब मांग सके।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।