बंगाल में गरजे नरोत्तम, बोले- डूबता जहाज ममता की सरकार, ये अवसर कमल खिलाने का

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। भाजपा के संकटमोचक कहे जाने वाले मध्यप्रदेश के कद्दावर नेता, शिवराज सरकार में गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा (Dr Narottam Mishra) का एक बार फिर कद बढ़ा है। पार्टी ने गृह मंत्री पर फिर भरोसा जताते हुए बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) के बाद नरोत्तम मिश्रा को  पार्टी ने आगामी चुनाव को देखते हुए पश्चिम बंगाल (West Bangal)  की 48  विधानसभा सीटों का प्रभारी बनाया है। खास बात ये है कि पार्टी की तरफ से जिम्मेदारी मिलते ही नरोत्तम मिश्रा ने मोर्चा संभाल लिया है और 4 दिनों के बंगाल प्रवास पर पहुंच गए है।

मंगलवार को डॉ नरोत्तम मिश्रा ने किया वर्धमान जिले के बीजेपी कार्यकर्त्ताओं में ऊर्जा का संचार किया।  उन्होंने कहा ये अवसर है बंगाल में कमल खिलाने का। उन्होंने कहा कि  “जहां हुए बलिदान मुखर्जी वह कश्मीर हमारा है, जो कश्मीर हमारा वो सारा का सारा है “. डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि हमने 370 हटाई, 35 A  का प्रावधान खत्म किया, तीन तलाक खत्म किया। हम जो नारा बचपन में लगाते थे “कि सौगंध राम की खाते हैं मंदिर वाहन बनाएंगे” और हमने इस कसम को पूरा किया। समाज के ताने बाने को विकृत करने बाली सोच के लिए हमारी  मध्यप्रदेश में लव जिहाद कानून लायी।  उन्होंने कहा कि बंगाल में तृणमूल का तिनका नहीं बचेगा, ममता जी की सरकार डूबता जहाज है, इसलिए ये अवसर है बंगाल में कमल खिलाने का।

गृह मंत्री ने कहा कि बंगाल में लंबे समय से जनता का  शोषण हुआ है। अब बंगाल को लूट से बचाने का अवसर है। आगामी चुनाव में कार्यकर्ता की मेहनत और तपस्या रंग लाने वाली है।भाजपा के कार्यकर्ता ममता सरकार के कुशासन से मुक्ति पाने के लिए अपना बलिदान कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियां बंगाल में खत्म हो गई है इसलिए हमारे विरोधी वोट काटने की कोशिश करेंगे लेकिन हर कार्यकर्ता को ध्यान रखना है भाजपा का वोट नहीं बंटे। डॉ मिश्रा ने कहा कि कम्युनिस्ट और कांग्रेस के लोग देश को तोड़ने वाली ताकतों के साथ रहते हैं । देश में आज अधिक पार्षद से लेकर सांसद तक भाजपा के हैं । हमारा नारा है “हम उस घर में घुस के मारेंगे, जिस घर से अफजल निकलेगा।”


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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