उज्जैन। योगेश कुल्मी।
विश्वव्यापी कोरोना महामारी ने दुनिया की हर चीज को अपने शिकंजे में लिया है। इसी बीच भारत में मंदिरों के पट तक बंद हो गए थे। स्थिति सामान्य होने पर मंदिरों के प्रति खुले लेकिन अब कोरोना की नजर भारत में हर साल होने वाली महाकाल की सवारी पर भी लग गई है। भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर कि सावन माह में निकलने वाले बाबा की सवारी पर अब कोरोना का असर दिख रहा है। जहां लोगों को हर साल निकलने वाली इस सवारी में प्रवेश नहीं मिलेगा।
दरअसल उज्जैन में करुणा के बढ़ते मामले के पीछे सावन में हर साल निकलने वाले बाबा की सवारी पर भक्तों के प्रवेश को वर्जित कर दिया गया है। वही भक्तों को महाकाल के दर्शन ऑनलाइन माध्यम से ही करने पड़ेंगे। 6 6 जुलाई को सावन का पहला सोमवार है ऐसे में बड़ी संख्या में भक्त सवारी में भगवान के दर्शन के लिए पहुंचते थे। किंतु इस बार पहले कोरोना संक्रमण की वजह से प्रशासन द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग और केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार ही महाकाल की सवारी निकाली जाएगी। वही महाकाल सवारी का परंपरागत रूट भी इस बार छोटा होगा। जिसको लेकर उज्जैन प्रशासन ने साफ कर दिया है कि इस बार भोले के भक्तों को घर बैठ कर ही उनके दर्शन करने पड़ेंगे।
इधर सोमवार को उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह और संभाग आयुक्त आनंद शर्मा के साथ पुलिस और नगर निगम अधिकारियों ने सावन के पहले सोमवार पर निकालने वाली सवारी के रूट का निरीक्षण किया। जहां उज्जैन कलेक्टर ने इस बात की पुष्टि की कि वायरस के प्रभाव के बीच भी बाबा महाकाल की सवारी उसी वैभव एवं परंपरा के अनुसार निकाली जाएगी। लेकिन इसके साथ-साथ केंद्र की गाइडलाइन का भी पालन करना होगा। जहां सवारी में श्रद्धालुओं का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित रहेगा। वही महाकाल के भक्तों को ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था प्राप्त होगी।
बता दे कि उज्जैन में कोरोना से अब तक 70 लोगों की जान जा चुकी है। इसको देखते हुए प्रशासन किसी भी तरह की कोताही बरतने को तैयार नहीं है। इसी बीच बैठक के बाद उज्जैन कलेक्टर और संभाग आयुक्त ने महाकाल की सवारी की व्यवस्था के लिए आम जनता से भी सहयोग की अपेक्षा की है।