कोचिंग बंद किये जाने का विरोध, सरकार से सवाल क्या दमोह में नहीं है कोरोना?

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर के कोचिंग संचालकों (Coaching Directors) ने कलेक्टर के उस आदेश (Order) का विरोध शुरू कर दिया है जिसमें कोचिंग सेंटर्स (Coaching Centers) को बंद करने के निर्देश दिए गए हैं।  विरोध जताने कलेक्ट्रेट पहुंचे कोचिंग संचालकों (Coaching Directors) ने कहा कि हम पिछले दो साल से भूखों मरने की स्थिति में हैं।  उन्होंने प्रशासन और सरकार से सवाल किया कि क्या दमोह में कोरोना नहीं है ?

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ग्वालियर में कोचिंग सेंटर्स (Coaching Centers) संचालित करने वाले सैकड़ों कोचिंग संचालक (Coaching Directors) मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे।  उन्होंने सोमवार को जारी कलेक्टर के उस आदेश का विरोध जताया जिसमेँ कोरोना संक्रमण (Corona Infection) को देखते हुए कोचिंग सेंटर्स (Coaching Centers)  पर बच्चों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है और कोचिंग संचालकों (Coaching Directors) को केवल ऑनलाइन क्लासेस चलने के निर्देश दिए गए हैं। कोचिंग संचालकों (Coaching Directors) ने मानव श्रंखला बनाकर विरोध जताते हुए कहा कि हम लोग कोरोना काल में जैसे तैसे कर अपना घर चला रहे हैं दो साल से तो भूखों मरने की नौबत आ गई है। आक्रोशित कोचिंग संचालकों (Coaching Directors) ने प्रशासन से सवाल किया कि क्या  दमोह में कोरोना नहीं है जहाँ चुनाव हो रहे हैं? उन्होंने कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह (Kaushalendra Vikram Singh)से मिलकर अपनी बात रखी। कोचिंग संचालक (Coaching Directors)  कलेक्ट्रेट में ही मौजूद सांसद विवेक नारायण शेजवलकर MP Vivek Narayan Shejwalkar) और विधायक  प्रवीण पाठक (MLA Praveen Pathak) से भी मिले और उन्हें अपनी परेशानी बताई।

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गौरतलब है कि कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी कौशलेन्द्र विक्रम सिंह (Kaushalendra Vikram Singh)ने सोमवार  को एक आदेश जारी कर जिले में संचालित कोचिंग सेंटर्स पर स्टूडेंट्स का प्रवेश वर्जित कर दिया और कोचिंग संचालकों (Coaching Directors) को निर्देश दिए हैं कि वे उनके  ऑनलाइन क्लासेस ही चलाएं। कोचिंग संचालक इस आदेश का विरोध कर रहे हैं।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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