पार्टी बदली लेकिन मांग नहीं…कैबिनेट मंत्री बोली-कुपोषित बच्चों को खिलाऊँगी अंडा

Pooja Khodani
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। कमलनाथ सरकार (Kamalnath Sarkar) में महिला एवं बाल विकास मंंत्री रहीं इमरती देवी (Imarati Devi) भले ही कांग्रेस (Congress) छोड़कर भाजपा (BJP) में आ गई हैं लेकिन उनके ना विचार बदले हैं और ना कार्यशैली। भाजपा सरकार में भी कमलनाथ सरकार वाला विभाग मिलने से इमरती ना सिर्फ खुश हैं बल्कि जैसा काम उन्होंने पिछली सरकार में किया था उससे कहीं बेहतर काम करने के लिए उत्साहित हैं। उन्होंने दोहराया कि मैंने पहले भी मांग की थी कि आंगन बाड़ी में कुपोषित (Malnourished) बच्चों को अंडा दिया जाए और इस बार भी यही मांग करूँगी। क्योंकि मुझे मेरा मध्यप्रदेश सुपोषित बनाना है यानि कुपोषण मुक्त (Malnutrition free) करना है।

महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने कहा कि उन्होंने कमलनाथ सरकार के दौरान इसी विभाग की मंत्री रहते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को अंडा देने की मांग की थी लेकिन लोगों ने इसे गलत तरीके से समझा मैंने तब भी कहा था कि जो बच्चा अंडा खाता है उसे अंडा दिया जायेगा और जो नहीं खाता उसे फल दिया जायेगा। क्योंकि डॉक्टर भी कमजोर बच्चों और लोगों को अंडा खाने की सलाह देते हैं। इमरती देवी ने कहा कि डॉक्टर सहित सभी जानकार कहते हैं कि अंडे के पोषक तत्व गर्भवती महिलाओं और कुपोषित बच्चों के लिये फायदेमंद होते हैं इसलिए मैं इस सरकार में भी मांग करूँगी कि आंगनबाड़ी केंद्रों में कुपोषित बच्चों को अंडा दिया जाए।

इमरती देवी ने कहा कि वो अपने प्रदेश को स्वस्थ देखना चाहती हैं, कुपोषित से सुपोषित बनाना चाहती हैं। मंत्री इमरती देवी की इस मांग से अब ये सवाल खड़े होने लगे हैं कि क्या शिवराज सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को अंडा वितरित करने का फैसला लेगी या नहीं क्योंकि जब कमलनाथ सरकार में मंत्री रहते हुए इमरती देवी ने आंगनबाड़ी केंद्रों में कुपोषित बच्चों को अंडा देने की बात कही थी तब भाजपा ने सवाल खड़े किए थे और भाजपा के कई बड़े नेताओं ने बच्चों को अंडे देने को लेकर विरोध किया था लेकिन अब इमरती देवी भाजपा सरकार में मंत्री हैं। बहरहाल मंत्री इमरती देवी ने अपनी तैयारी कर ली है उनका कहना है कि कोरोना का प्रकोप थोड़ा कम हो जाए वैसे ही वे संभाग और जिला स्तर पर खुद जायेंगे और कुपोषण को जड़ से मिटाने की मुहिम चलायेंगी।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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