प्यारे मियां केस : नींद की गोलियां खाने वाली नाबालिग सोई मौत की नींद, प्रबंधन पर लगे ये आरोप

भोपाल,डेस्क रिपोर्ट।  मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) के बहुचर्चित प्यारे मियां केस (Pyare Miyan Case) में 3 दिन पहले एक नाबालिग (Minor) द्वारा नींद की गोलियां खाकर आत्महत्या (suicide) का प्रयास करने वाली बच्ची की हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital) में मौत (Death) हो गई है। मृतिका ने 3 दिन पहले नींद की गोलियां खाई थी। नाबालिग ने क्यों नींद की गोलियां खाई इसके पीछे का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है।

साथ ही बालिका गृह प्रबंधन अब कई सवालों के घेरे में आ गया है। कैसे एक नाबालिग के पास इतनी संख्या में नींद की गोलियां (Sleeping pills) पहुंची। किस वजह से नाबालिग ने आत्महत्या करने की कोशिश की। शासकीय बालिका गृह की अधीक्षका  अंतोनिया कुजूर इक्का पर प्रताड़ना का आरोप लगा था, जिसके बाद उन्हें हटा दिया गया है। बच्ची ने बीती रात 10:00 बजे हमीदिया अस्पताल में इलाज के दौरान अपना दम तोड़ दिया।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।