Sahara News : SAHARA निवेशकों के साथ धोखाधड़ी, एक और FIR दर्ज।

Gaurav Sharma
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विदिशा डेस्क रिपोर्ट। विदिशा जिले के सिरोंज थाने में सहारा की क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी (Credit cooperative society) के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। 19 आवेदकों के द्वारा कराई गई FIR में लगभग 92लाख रुपए वापस न लौटाने का आरोप है।

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विदिशा के सिरोंज थाने में सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के शाखा प्रबंधक संजीत गिरी, जोनल मैनेजर और रीजनल मैनेजर के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 ,406 मध्यप्रदेश निक्षेपको के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 की धारा चार और मध्य प्रदेश निक्षेपको के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 की धारा 6(1) के तहत मामला दर्ज किया गया है। FR में 19 लोगों ने आवेदन दिए थे और उनका आरोप है कि सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी इंडिया की सिरोंज शाखा में निवेशकों के द्वारा अपनी बैंक की स्कीमों के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए राशि जमा कराई गई थी जो FD पूर्ण होने के बाद भी निवेशकों को नहीं लौटाई गई है। अधिकारियों से बार-बार कहने के बाद भी वे हर बार रटा रटाया उत्तर देते हैं कि संस्था पर जब पैसा आएगा, तब वापस किया जाएगा।

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कुल 257 FD में लगभग 92 लाख रुपए की राशि अब तक वापस नहीं लौटायी गई है और इसे लेकर निवेशक काफी परेशान हो रहे हैं। जांच के बाद पुलिस ने सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी सिरोंज के शाखा प्रबंधक संजीत गिरी, जोनल मैनेजर भोपाल और रीजनल मैनेजर सागर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और उनकी तलाश में जुट गई है। FIR कराने वाले निवेशकों ने रिपोर्ट के साथ संबंधित साक्ष्य भी पुलिस को मुहैया कराये है जिन्हें पुलिस विवेचना में लेकर जांच कर रही है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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