भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (madhya pradesh) की शिवराज सरकार (shivraj government) महिला सशक्तिकरण (woman empowerment) की दिशा में बड़ी योजना के संशोधन पर विचार कर रही है। दरअसल केंद्र के नियम की ही तर्ज पर मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा अविवाहित बेटियों (unmarried daughter)के लिए 25 वर्ष की उम्र पूरी होने के बाद पारिवारिक पेंशन देने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए प्रस्ताव परीक्षण के लिए सामान प्रशासन विभाग को भेजा गया है।
दरअसल केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के मामले में 28 अप्रैल 2011 को पेंशन नियम में संशोधन किया था। जहां अविवाहित बेटी, विधवा, परित्यक्ता बेटी को पेंशन देने की पात्रता उम्र बढ़ा दी गई थी। जिसके बाद अविवाहित पुत्री के मामले में यदि आयु 25 वर्ष से अधिक हो गई हो और उसका विवाह नहीं हुआ हो तो उसे पारिवारिक पेंशन का लाभ दिया जाएगा। अब इस नियम को शिवराज सरकार मध्यप्रदेश में लागू करने पर विचार कर रही है। बता दें कि प्रदेश में अभी कर्मचारियों के मामले माता पिता की मृत्यु के बाद बेटे को 18 साल और बेटी को 25 साल तक पारिवारिक पेंशन की पात्रता है।
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वहीं इसमें संशोधन पर विचार किया जा रहा है। जहां अविवाहित बेटी के लिए 25 वर्ष की उम्र पूरी होने के बाद जब तक उसका विवाह नहीं हो जाता तब तक पारिवारिक पेंशन दिया जाएगा। ज्ञात हो कि इस नियम के तहत विधवा और डाइवोर्स बेटी के मामले में आजीवन पेंशन का प्रावधान किया गया है।
जिसके लिए प्रावधान बना कर मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग को परीक्षण के लिए भेजा गया है। इसके अलावा विधवा बेटी के मामले में जब तक वह जीवित रहेगी तब तक उसे पारिवारिक पेंशन के दायरे में लाया जाएगा। विधवा बेटी के दोबारा विवाह करने पर पेंशन की सुविधा बंद कर दी जाएगी। वहीं इस बात पर वित्त विभाग 13 मार्च 2020 को परिवार पेंशन कल्याण मंडल ने भी सैद्धांतिक सहमति दी हुई है।
गौरतलब हो कि इस नियम के तहत परिवार पेंशन मैसेज में पेंशन की 30 फ़ीसदी राशि ही दी जाती है। इसके मुताबिक सेवानिवृत्त कर्मचारी के मामले में पति पत्नी दोनों की मृत्यु होने पर आश्रित बेटा या बेटी को पारिवारिक पेंशन की पात्रता दी गई है। जैसे 25 साल की उम्र तक बेटी को पात्रता का प्रावधान था। अब इसमें सरकार बदलाव कर जब तक बेटी का विवाह नहीं हो जाता तब तक पारिवारिक पेंशन जारी रखने की योजना बना रही है।