MP उपचुनाव 2020 : ग्वालियर हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) चुनावी सरगर्मियों के बीच दिल्ली से बड़ी खबर मिल रही है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court)  ने चुनाव आयोग (Election commission) द्वारा लगाई गई याचिका पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) के आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिए है कि नियमों को तोड़ने के खिलाफ कार्रवाई की जाए। कोरोना महामारी को देखते राजनीतिक दल वर्चुअल माध्यमों के जरिए चुनाव प्रचार कर सकते हैं। साथ ही मामले से जुड़ी याचिकाओं पर अगली सुनवाई 6 हफ्ते के लिए टाल दी है।

दरअसल,  ग्वालियर हाईकोर्ट (Gwalior High Court) ने 9 जिले में राजनीतिक रैलियों को प्रतिबंधित कर दिया है, जिसके बाद  चुनाव आयोग के साथ भाजपा प्रत्याशी प्रद्युमन सिंह तोमर (Pradyuman Singh Tomar) और मुन्ना लाल गोयल (Munna Lal Goyal) ने  ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। गुरुवार को इस संबंध में याचिका लगाई गई थी, जिस पर आज सोमवार को सुनवाई हुई ।सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से कहा वह कोरोना महामारी को देखते हुए उचित कदम उठाए।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि आप अपने कर्तव्यों का निर्वहन इस प्रकार करें कि सभी का हित हो। कोर्ट ने ऐसी स्थिति पैदा करने के लिए राजनीतिक दलों की खिंचाई भी की जिन्होंने हाईकोर्ट  को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर किया।  अगर राजनीतिक दलों (Political parties) ने प्रोटोकॉल बनाए रखा होता, तो यह स्थिति पैदा नहीं होती।आयोग अपने अनुभव और विवेक के आधार पर ऐसे फैसले लेने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र और सक्षम है।

यह है ग्वालियर हाईकोर्ट का आदेश

गौरतलब है कि उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने राजनीतिक दल को सार्वजनिक समारोह के लिए अनुमति नहीं देने के आदेश दिए हैं। आदेश में कहा गया है कि उम्मीदवार को यह साबित करना होगा के वीडियो के माध्यम से चुनाव नहीं कर सकते हैं। उम्मीदवार को सभा आयोजित करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट के पास पर्याप्त धनराशि जमा करनी होगी। कोर्ट ने यह भी कहा था कि जब तक कि उन्हें जिलाधिकारियों और चुनाव आयोग से यह प्रमाणित नहीं किया गया हो कि वर्चु्अल चुनाव अभियान संभव नहीं है। अगर भौतिक सभा करने की इजाजत मिल भी जाती है तो, राजनीतिक दल को इसके लिए धन राशि जमा कराने की आवश्यकता होगी। यह धन राशि सभा में अपेक्षित लोगों की संख्या की सुरक्षा और सैनेटाइजेशन के लिए जरूरी मास्क और सैनेटाइजर की दोगुनी खरीद करने के लिए पर्याप्त होनी चाहिए।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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