कांग्रेस, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya pradesh) में उपचुनाव (By-election) के अप्रत्याशित जीत के बाद जहां एक तरफ शिवराज सरकार (shivraj government) सत्ता में परमानेंट हो गई है। वहीं दूसरी तरफ इस जीत के बाद चुनकर आए विधायकजन की मांग भी उनके लिए बड़ी चुनौती बन गई है। मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet expansion) से लेकर विधानसभा अध्यक्ष (speaker of the Assembly) तक के पद की दावेदारी के लिए बीजेपी में मंथन का कार्य शुरू हो गया है। ऐसे में पूर्व मंत्री और कैबिनेट मंत्री के विधानसभा अध्यक्ष पद की दावेदारी पर अपनी मांग के बाद अब कांग्रेस ने भी अपनी राय सामने रखी है।
दरअसल बीजेपी में सीमित पदों की संख्या के लिए असीमित दावेदार नजर आ रहे हैं। इसके साथ ही पार्टी के अंदर के नेता लगातार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) को अंचलों में संतुलन बनाए रखने की मांग करते नजर आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में जहां कैबिनेट मंत्री बिसाहूलाल सिंह (Bishahulal singh) ने कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष पद का दावेदार विंध्य क्षेत्र से ही होना चाहिए। वहीं पूर्व मंत्री अजय विश्नोई (Ajay vishnoi) ने भी उनकी बात का समर्थन कर दिया है।
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अजय विश्नोई ने विधानसभा अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी लेने से साफ इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष का कार्य केवल 60 दिनों का होता है जबकि वो 365 दिन काम करने वाले नेता है। पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने कहा है कि समय आ गया है कि भाजपा को प्रदेश के तमाम अंचलों में संतुलन बनाए रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पिछले 3 महीने से उन्होंने विंध्य से विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की है। अजय विश्नोई ने कहा है कि 2023 में क्षेत्रीय संतुलन भाजपा के काम आने वाला है।
जबकि दूसरी तरफ विधानसभा अध्यक्ष की दौड़ में दावेदारों की बढ़ती संख्या के बीच कांग्रेस ने भी अपनी राय रखी है। कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना (vinay saxena) का कहना है विधानसभा अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी महाकौशल से किसी को मिलनी चाहिए। कांग्रेस ने कहा कि कमलनाथ (kamalnath) ने सत्ता में रहते हुए महाकौशल का नाम ऊंचा रखा था। बीजेपी (bjp) को भी इस ओर कदम आगे बढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने कभी महाकौशल की तरफ ध्यान नहीं दिया जबकि विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित तीन कैबिनेट मंत्री और स्वयं मुख्यमंत्री महाकौशल से आते रहे हैं। उस महाकौशल को अनदेखा करना उचित नहीं है।
इधर बीजेपी में विधानसभा अध्यक्ष के लिए लगातार दावेदारों की संख्या बढ़ती जा रही है। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के लिए खुद की जीत ही एक चुनौती बनकर सामने आई है। ऐसी स्थिति में पार्टी के अंदर राजनीतिक संतुलन बनाए रखने पर मंथन शुरू हो चुका है।