विश्व संस्कृत दिवस आज, भारतीय संस्कृति, धर्म, साहित्य और ज्ञान की मूलभूत धारा है ये भाषा, सीएम डॉ. मोहन यादव ने दी शुभकामनाएँ

संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति की आधारशिला है। यह वेदों, उपनिषदों, महाभारत, रामायण जैसे महाग्रंथों की भाषा है जो ज्ञान, विज्ञान, दर्शन और साहित्य का अमूल्य स्रोत हैं। संस्कृत में विश्व की सबसे समृद्ध और प्राचीन साहित्यिक धरोहर है, और इसका व्याकरण अत्यंत सटीक और वैज्ञानिक है। यह न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आधुनिक विज्ञान और तकनीक के अध्ययन में भी सहायक सिद्ध हो रही है। 

World Sanskrit Day 2024 : आज विश्व संस्कृत दिवस है। संस्कृत भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ाने, इसके वैश्विक महत्व को बताने और संरक्षण के उद्देश्य से भारत में हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन (रक्षा बंधन के दिन) विश्व संस्कृत दिवस मनाया जाता है। यह दिवस संस्कृत भाषा की समृद्ध विरासत, साहित्य और संस्कृति को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। आज सीएम डॉ. मोहन यादव ने शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति और संस्कारों की परिचायक है।

संस्कृत भाषा का इतिहास

संस्कृत भाषा विश्व की सबसे प्राचीन और समृद्ध भाषाओं में से एक है, जिसे ‘देववाणी’ के रूप में भी जाना जाता है। यह भाषा भारतीय संस्कृति, धर्म, साहित्य और ज्ञान की मूलभूत धारा है। संस्कृत न केवल प्राचीन काल में बल्कि आज भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

संस्कृत का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। वैदिक संस्कृत, जो सबसे प्राचीन रूप माना जाता है, में चार वेदों—ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, और अथर्ववेद की रचना की गई। वैदिक संस्कृत के बाद शास्त्रीय संस्कृत का विकास हुआ, जिसमें महाकाव्य, पुराण, और स्मृति ग्रंथों की रचना की गई। पाणिनि, कात्यायन और पतंजलि जैसे महान विद्वानों ने संस्कृत के व्याकरण और भाषा शास्त्र को विकसित किया, जिससे यह भाषा और समृद्ध हुई।

संस्कृत भाषा का महत्व

  1. धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व : संस्कृत हिन्दू धर्म की मूल भाषा है, जिसमें वेद, उपनिषद, महाभारत, रामायण और पुराण जैसे पवित्र ग्रंथ रचे गए हैं। इन ग्रंथों का अध्ययन आज भी धार्मिक और आध्यात्मिक शिक्षा का आधार है।
  2. सांस्कृतिक धरोहर : संस्कृत भारतीय संस्कृति और परंपराओं का मूल स्रोत है। भारतीय नाट्यशास्त्र, काव्यशास्त्र और वास्तुशास्त्र जैसे शास्त्रों की रचना संस्कृत में हुई, जिससे भारतीय कला और संस्कृति को एक नया आयाम मिला।
  3. वैज्ञानिक और दार्शनिक दृष्टिकोण : संस्कृत में विज्ञान, गणित, खगोलशास्त्र, आयुर्वेद, और योग पर अनेक ग्रंथ लिखे गए हैं। आर्यभट्ट, वराहमिहिर और चरक जैसे महान वैज्ञानिकों और चिकित्सकों ने संस्कृत में अपने ज्ञान को संकलित किया। संस्कृत भाषा का व्याकरण बहुत ही संरचित और तार्किक है। इसके नियम और शब्द निर्माण की प्रक्रिया विज्ञान और गणित के कई सिद्धांतों से मेल खाते हैं। इसलिए इसे वैज्ञानिक भाषा भी माना जाता है।
  4. भारतीय संस्कृति और परंपरा : संस्कृत भारतीय संस्कृति, धर्म और परंपराओं का आधार है। हिन्दू धर्म के अधिकांश धार्मिक ग्रंथ और मंत्र संस्कृत में हैं, जो आज भी पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग होते हैं।
  5. सार्वभौमिकता : संस्कृत भाषा में ऐसे कई शब्द और धारणाएं हैं जो आज भी विभिन्न भाषाओं में उपयोग हो रही हैं। यह भाषा समय और स्थान से परे है, इसलिए इसे सार्वभौमिक माना जाता है।

विश्व संस्कृत दिवस मनाने का उद्देश्य

संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति, धर्म, और ज्ञान की धरोहर है। इसका अध्ययन और संरक्षण हमारे लिए अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह न केवल हमारे अतीत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है बल्कि हमारे भविष्य के लिए भी एक महत्वपूर्ण संसाधन है। संस्कृत भाषा के माध्यम से हम न केवल अपने प्राचीन ज्ञान को संरक्षित कर सकते हैं, बल्कि इसे आधुनिक संदर्भ में उपयोगी बना सकते हैं। संस्कृत भाषा के गुण, महत्व और उपयोगिता इसे एक अनमोल धरोहर बनाते हैं, जिसे हमें सहेजकर रखना चाहिए। इस भाषा की वैज्ञानिकता, साहित्यिक समृद्धि, और सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए इसे भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंचाने की आवश्यकता है और विश्व संस्कृति दिवस इसी उद्देश्य के साथ मनाया जाता है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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