भोपाल, डेस्क रिपोर्ट| साल 2020 मध्य प्रदेश (Madhyapradesh) की सियासत के लिए बेहद उथल-पुथल वाला रहा| 15 साल के वनवास के बाद सत्ता में आई कांग्रेस (Congress) 15 महीने में ही चली गई और शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) चौथी बार मुख्यमंत्री बने| सबसे बड़ा उलटफेर इसी वर्ष के इतिहास में दर्ज हुआ जब ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा (BJP) में आये| जिसके कारण भाजपा फिर सत्ता में तो आ गई, लेकिन सिंधिया समर्थकों को महत्व देने के कारण भाजपा के ही वरिष्ठ और वो नेता जो सिंधिया समर्थकों से चुनाव हारे थे उनको अपना राजनीतिक भविष्य अधर में लटका नजर आने लगा| हालाँकि पार्टी ने सभी को साधने की रणनीति के तहत संतुलन बनाने की कोशिश की है| लेकिन साल बीत गया और अब नया साल 2021 शुरू हो गया है| इन नेताओं के लिए नया साल बड़ी उम्मीदों का साल माना जा रहा है|
बीजेपी के बड़े नेता और उपचुनाव जीतकर आये सिंधिया समर्थकों में मंत्री बनने की होड़ लगी है| सत्ता संभालने के नौ महीने बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तीसरी बार रविवार को कैबिनेट का विस्तार करने जा रहे हैं| इसमें सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत और तुलसीराम सिलावट को शपथ दिलाई जा सकती है| दोनों नेताओं ने उपचुनाव से पहले मंत्री पद से इस्तीफ़ा दिया था| इसलिए उनका फिर मंत्री बनना तय है, लेकिन विभागों के बंटवारे पर अभी पेंच फंसता हुआ नजर आ रहा है|
संतुलन बनाना चुनौती
इधर, भाजपा के वरिष्ठ और वो नेता जो मंत्री पद के दावेदार है और सिंधिया समर्थकों की एंट्री से खफा होने के बावजूद सही समय का इन्तजार कर रहे है| पार्टी को उन सभी को साधना बड़ी चुनौती होगी| इसके साथ ही अभी मंत्रिमंडल में ग्वालियर-चंबल संभाग का दबदबा है। वहीं महाकौशल और विंध्य से लगातार मांग उठ रही है| ऐसे में संतुलन बनाना भी बड़ी चुनौती होगी|
अब ख़त्म होगा निगम मंडलों में नियुक्ति का इन्तजार
बीजेपी नेताओं के लिए उम्मीदों का साल इसलिए माना जा रहा है कि अब तक कोरोना से जंग और उपचुनाव की व्यस्तता के चलते कई नेताओं को एडजस्ट करने का निर्णय शिवराज अब तक नहीं ले पाए हैं| इस साल निगम मंडलों में नियुक्तियों के द्वार खुलेंगे| जिसमे उन नेताओं को नियुक्ति देकर साधा जाएगा जो लम्बे समय से पार्टी में अपनी नाराजगी को लेकर सुर्ख़ियों में रहे हैं| ऐसे नेताओं की लिस्ट लम्बी है| वहीं सिंधिया समर्थक नेता जो उपचुनाव हारे हैं उन्हें भी पिछले दरवाजे से सरकार का हिस्सा बनाने की कोशिश है| सिंधिया की सीएम शिवराज से इस सम्बन्ध में चर्चा हो चुकी है| लेकिन अब तक तस्वीर साफ़ नहीं है|