छतरपुर, संजय अवस्थी। बिड़ला ग्रुप (Birla Group) को बक्सवाहा क्षेत्र (Baxwaha) में हीरा उत्खनन (Diamond Excavation) के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई है। लाखों-करोड़ों के इस प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया की रियो टिंटो कंपनी (Rio Tinto Company) के बंदर प्रोजेक्ट को बिरला ग्रुप को सौंपा जा रहा है ताकि वह यहां से हीरा का खनन करें। इस समय सबसे ज्यादा संकट ऑक्सीजन (Oxygen) का है इसलिए कोरोना महामारी (Covid-19) को ध्यान में रखकर ऑक्सीजन बचाने के लिए क्षेत्र के जंगलों की सुरक्षा की जंग युवाओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से छेड़ी है।
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वहीं छतरपुर डीएफओ की माने तो उन्होंने सर्वे कर रिपोर्ट सौंपी है। जिसमें 1 लाख से ज्यादा पेड़ यहां पर खदान की परिधि में आ रहे है और इन्हें काटा जाएगा। लेकिन उनका कहना है कि इतने ही पेड़ राजस्व भूमि पर लगाएं भी जाएंगे, वहीं जब उनसे यह पूछा गया कि इस जंगल मे जंगली जानवर भी है तो उनका कहना था की कोई ऐसा जानवर होने के संकेत यहां नहीं मिले हैं।, जिसको लेकर कोई समस्या आये। उन्होंने कहा कि अभी इस पूरे प्रस्ताव पर मुहर नहीं लगी है। लेकिन वन विभाग ने यह सर्वे रिपोर्ट सौंप दी है। बक्सवाहा के युवा हिमांशु बिल्थरे, सचिन तिवारी, पंकज बिल्थरे, आशिक मंसूरी, आशीष चौरसिया, मुकेश विश्वकर्मा, अनिल जैन, प्रदीप विश्वकर्मा आदि ने कहा कि वे जंगल के काटे जाने का विरोध करेंगे और सोशल मीडिया के माध्यम से समर्थन हासिल करेंगे।
यह है पूरा मामला
बकस्वाहा के जंगल मे 3.42 करोड़ कैरेट के हीरे लगभग 1 लाख से ज्यादा पेड़ काटकर निकाले जाएंगे। दरअसल हीरे निकालने के लिए पेड़ काटे जाएंगे। खासतौर पर नाले के आसपास के क्षेत्र में सबसे ज्यादा हीरे मिलने की संभावना जाहिर की गई है। यहां हीरा खदान के लिए 62 हेक्टेयर जंगल चिह्नित है लेकिन प्रोजेक्ट के तहत 382 हेक्टेयर का जंगल साफ करने की तैयारी की जा रही हैं। पन्ना की मझगवां खदान में 22 लाख कैरेट हीरे हैं। अब बकस्वाहा की जमीन 15 गुना ज्यादा हीरे उगलेगी इसीलिए प्रदेश सरकार आदित्य बिड़ला समूह को 50 साल के लिए पट्टे पर यह जमीन दे रही है। दो साल पहले प्रदेश सरकार ने इस जंगल की नीलामी की जिसमें आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सबसे ज्यादा बोली लगाई। प्रदेश सरकार यह जमीन इस कंपनी को 50 साल के लिए लीज पर दे रही है।