हर हफ्ते 70 घंटे से अधिक काम करने के बयान पर अब नारायण मूर्ति ने दी सफाई, कहा – ‘यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव था, ऐसा कोई नियम नहीं’

इंफोसिस के सह-संस्थापक एन. आर. नारायण मूर्ति ने अब अपने बयान पर सफाई दी है। उन्होंने कहा है, "मैंने जो सलाह दी, उस पर लोगों को चर्चा या बहस करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह समझने की जरूरत है कि क्या सही है।"

Rishabh Namdev
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काम के घंटे को लेकर छिड़ी बहस पर अब इंफोसिस के सह-संस्थापक एन. आर. नारायण मूर्ति ने नया बयान दिया है। इस बार उन्होंने 70 घंटे काम करने वाले बयान पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि, “यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है। मैंने अपने जीवन में 40 साल तक हर हफ्ते 70 घंटे से अधिक काम किया है, लेकिन ऐसा नहीं है कि हर कोई ऐसा ही करे।”

दरअसल, कुछ समय पहले इंफोसिस के संस्थापक एन. आर. नारायण मूर्ति ने युवाओं को सलाह दी थी कि उन्हें हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए। इस बयान के बाद विवाद खड़ा हो गया था और लोगों ने इस पर अलग-अलग तरह की राय रखी थी। इसके साथ ही, इस पर कई बड़े व्यापारियों ने भी अपनी राय रखी थी।

नारायण मूर्ति के बयान पर छिड़ा था विवाद

दरअसल, नारायण मूर्ति के बयान पर एलएंडटी के अध्यक्ष एसएन सुब्रह्मण्यन ने कहा था कि युवाओं को 90 घंटे काम करना चाहिए और हफ्ते में सातों दिन उन्हें काम करना चाहिए। हालांकि, इसके बाद आनंद महिंद्रा ने भी इस पर अपनी राय रखी। आनंद महिंद्रा ने कहा था, “आप भले ही 10 घंटे काम करें, लेकिन आपका काम क्वालिटी वाला होना चाहिए। हमें घंटे की बहस में नहीं उलझना चाहिए।” अब, अपने बयान पर विवाद के बाद नारायण मूर्ति ने सफाई दी है। उन्होंने कहा, “यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव था जब मैं हफ्ते में 70 घंटे से अधिक काम करता था। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हर कोई ऐसा ही करे।”

चर्चा या बहस करने की आवश्यकता नहीं: नारायण मूर्ति

दरअसल, हाल ही में एक कार्यक्रम में बोलते हुए नारायण मूर्ति ने कहा कि युवाओं को अपने करियर के लिए मेहनत करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “किसी को भी लंबे समय तक काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। हर व्यक्ति अपनी स्थिति और जरूरत के अनुसार फैसला ले। ऐसा कोई नियम नहीं है। यह मेरा अनुभव है। हर व्यक्ति को अपनी क्षमता और परिस्थितियों के अनुसार ही काम करना चाहिए।” इस बार नारायण मूर्ति ने अपने भाषण में आत्मनिरीक्षण करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “जो सलाह मैंने दी थी, उस पर लोगों को अधिक चर्चा या बहस करने की आवश्यकता नहीं है। इसकी बजाय, इसे विचार करें और समझें कि उनके लिए क्या सही है।”


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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