Ratan Tata Birthday: रतन टाटा भारत के एक ऐसे कारोबारी हैं जो ना सिर्फ देश बल्कि दुनियाभर के बिजनेसमैन के लिए एक मिसाल हैं। अपने दम पर टाटा ग्रुप को बुलंदियों पर पहुंचाने वाले रतन टाटा आज 85 साल के हो गए हैं। उन्हें अपनी दरियादिली के लिए जाना जाता है। उनके जन्मदिन पर हर जगह हैप्पी बर्थडे सर के मैसेज देखे जा रहे हैं।
रतन टाटा की कहानी
28 दिसंबर 1937 को नवल टाटा और सोनी टाटा के घर रतन टाटा का जन्म हुआ। 1959 में उन्होंने आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और वो कार्नेल यूनिवर्सिटी चले गए। यहां से 1962 में भारत लौटने के बाद जमशेदपुर ब्रांच में उन्होंने टाटा स्टील में काम करने वाले मजदूरों के साथ काम किया। वह चाहते थे कि वह कंपनी के हर काम को अच्छे से जान लें इसीलिए उन्होंने हर उस काम को किया जो उस फैक्ट्री से जुड़ा हर एक व्यक्ति कर रहा था। अपने काम और व्यवहार के चलते वह मजदूर वर्ग से लेकर अधिकारियों तक सबके प्रिय बन गए।
फिर संभाली टाटा की कमान
1991 रतन टाटा के लिए बहुत अच्छा साबित हुआ और उन्हें टाटा समूह का अध्यक्ष बना दिया गया। यह फैसला सही साबित हुआ और उनकी अगुवाई में टाटा समूह में खूब तरक्की की। टाटा एक ऐसा समूह है जो आम आदमी के किचन से लेकर आसमान और समंदर तक फैला हुआ है। इस 157 साल पुराने ग्रुप की 17 कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड भी हैं।
कितनी है संपत्ति
रतन टाटा के पास करोड़ो रुपए की संपत्ति (Ratan Tata property) है फिर भी वह सादगी से जीवन जीना पसंद करते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक रतन टाटा के पास 3500 करोड़ की संपत्ति है लेकिन वह अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा समाज सेवा के कामों में खर्च कर देते हैं, जिसके लिए वह अक्सर चर्चा में भी रहते हैं। टाटा ग्रुप देश की जीडीपी का 2 फीसदी भागीदार है। फाइनेंशियल ईयर 2022 में इस ग्रुप का मार्केट कैप 21 ट्रिलियन रुपए है। इस विशाल साम्राज्य में 9 लाख 35 हजार कर्मचारी काम करते हैं।
जब टूटा सपना
करोड़ो का मालिक होने के बावजूद भी रतन टाटा हमेशा अपने दिल से काम करते हैं। यही वजह है कि उन्हें समाज सेवा के काम करते हुए देखा जाता है। अपनी इसी सोच के चलते उन्होंने मिडिल क्लास के लिए एक सपना देखा। सपना सच तो हुआ लेकिन बाद में बिखर भी गया।
साल 2008 में रतन टाटा ने नैनो कार की झलक दुनिया के सामने पेश की। 2009 से टाटा नैनो ने सड़क पर दौड़ लगाना शुरू कर दिया। इस कार की कीमत 1लाख रुपए थी, जो मिडिल क्लास फैमिली के हिसाब से बहुत अच्छी थी। यह कार चल तो रही थी लेकिन कुछ समय में मार्केट से गायब होने लगी और हालत यह हो गई कि कंपनी ने प्रोडक्शन बंद कर दिया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस कार की पहचान गरीबों की कार के तौर पर बनने लगी थी। वहीं BS-IV उत्सर्जन मानदंड आने के बाद इस कार को बंद करने का फैसला लिया गया।
इस बारे में रतन टाटा को एक बार खुद बात करते हुए देखा गया था। उन्होंने बताया था कि मैं डूडल बनाते समय सोचता था कि अगर बाइक सुरक्षित रहेगी तो बहुत अच्छा होगा। ऐसा ही सोचते-सोचते मैंने एक डूडल बनाया जो बग्गी जैसा दिख रहा था। फिर मुझे कार बनाने का आइडिया आया और मैं हमारे लिए नैनो कार लेकर आया। यह कार उन लोगों के लिए थी जो कार लेने का सपना तो देखते हैं लेकिन खरीदने में सक्षम नहीं होते। हालांकि उनका यह सपना सच होने के बावजूद भी नाकाम साबित हुआ।
जब नहीं मिल सका प्यार
रतन टाटा एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें लाखों लोग अपना आइडियल मानते हैं। उन्होंने शादी तो नहीं की लेकिन उनके जीवन में भी एक मोड़ ऐसा आया था जो हर किसी के जीवन में आता है। लॉस एंजिल्स में एक कंपनी में काम करने के दौरान रतन टाटा को प्यार हो गया। प्यार परवान चढ़ रहा था और वह उस लड़की से शादी भी करने वाले थे लेकिन अचानक उन्हें भारत वापस आना पड़ा क्योंकि उनकी दादी की तबीयत कुछ ठीक नहीं चल रही थी। उन्होंने यह भी सोच लिया था की दोनों एक साथ भारत में रहेंगे, लेकिन समय को कुछ और ही मंजूर था। 1962 में भारत-चीन की लड़ाई चल रही थी और रतन टाटा के माता-पिता इस पक्ष में बिल्कुल भी नहीं थे कि वह जिस लड़की से प्यार करते हैं वह भारत आए और इस तरह से उनका रिश्ता खत्म हो गया।
हर आयु वर्ग के आइडियल हैं रतन टाटा
रतन टाटा एक बिजनेसमैन होने के साथ-साथ दरियादिल इंसान भी हैं और लाखों लोगों के प्रेरणा स्त्रोत हैं। उनके समूह से जुड़ा हर व्यक्ति उनके लिए परिवार का हिस्सा है और उनका ख्याल रखने में वह कभी भी पीछे नहीं हटते। स्ट्रीट डॉग्स से उन्हें खास लगाव है और वह एनिमल शेल्टर्स और गैर सरकारी संगठनों को दान भी देते हैं। इसके अलावा जब भी विपदा की स्थिति खड़ी होती है वह हमेशा मदद के लिए आगे आते हैं।