आरबीआई ने कसा 4 बैंकों पर शिकंजा, लगाया भारी जुर्माना, कहीं इनमें आपका खाता तो नहीं? देखें लिस्ट

आरबीआई ने 4 सहकारी बैंकों के खिलाफ एक्शन लिया है। आइए जानें इन बैंकों के नाम क्या है? इनपर क्यों और इतना जुर्माना लगाया गया है?

Manisha Kumari Pandey
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RBI Action: फरवरी के पहले दिन आरबीआई ने नियमों का उल्लंघन करने वाले बैंकों के खिलाफ कार्रवाई की है। रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के चार सहकारी बैंकों पर 4.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। बैंकों के खिलाफ यह कार्रवाई बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 46 (4) (i) और 56 के पठित धारा 47 ए (1)(सी) के प्रावधानों के तहत की गई है मौद्रिक जुर्माना लगाने से पहले केंद्रीय बैंक ने सभी बैंकों को एक नोटिस जारी किया जिसमें उसे कारण बताने की सलाह दी गई और पूछा गया कि, “निर्देशों का पालन न करने पर उन पर जुर्माना क्यों ना लगाया जाए।” बैंकों के प्रतिक्रिया के बाद ही पेनल्टी लगाने का निर्णय लिया गया।

मध्यप्रदेश के इस बैंक पर लगा जुर्माना

मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित नागरिक सहकारी बैंक मर्यादित पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इस बैंक ने विवेकपूर्ण अंतर बैंक सकल जोखिम सीमा का उल्लंघन किया। साथ ही 6 महीने में एक बार अपने ग्राहकों के जोखिम वर्गीकरण की अवधि समीक्षा करने में विफल रहा।

महाराष्ट्र के तीनों पर लगा जुर्माना

महाराष्ट्र के तीन बैंकों पर केंद्रीय बैंक ने पेनल्टी ठोकी है। इन बैंकों के नाम द शिरपुर पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (धुले) सहकारी बैंक लिमिटेड अमरावती और नासिक जिला सहकारी और परिषद कर्मचारी सहकारी बैंक नियामित है।

  • द धुले शिरपुर पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। बैंक ने उन फर्म को को लोन स्वीकृत किया जिसमें निदेशक के रिश्तेदारों की रुचि थी।
  • नासिक जिला सहकारी और परिषद कर्मचारी बैंक नियमित पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यह बैंक  ग्राहकों के जोखिम और वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा की एक प्रणाली स्थापित करने में विफल रहा।
  • जनता सहकारी बैंक लिमिटेड पर 50,000 रुपये की पेनल्टी ठोकी गई है। बैंक  निर्धारित तिथि के भीतर जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष में पात्र राशि हस्तांतरित करने में विफल रहा।

क्या ग्राहकों पर पड़ेगा असर?

आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है। ग्राहक और बैंक के बीच हो रहे लेनदेन और समझौते की वैधता पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।


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