आरबीआई की ओर से कहा गया है कि मार्च 2020 के आखिर में अपनी वित्तीय स्थिति के संदर्भ में बैंक के वैधानिक निरीक्षण और रिपोर्टों की जांच के आधार पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक पर यह कार्रवाई की गयी है। रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय बैंक की ओर से जो जानकारी दी गयी है उसमें कहा गया है कि आईओबी पता लगने की तारीख से तीन सप्ताह के भीतर, एटीएम कार्ड क्लोनिंग/स्किमिंग से जुड़े धोखाधड़ी के कुछ मामलों की जानकारी देने में विफल रहा था। यह जुर्माना कमर्शियल बैंकों और चुनिंदा वित्तीय संस्थाओं की धोखाधड़ी-वर्गीकरण और रिपोर्टिंग पर आरबीआई की ओर से जारी निर्देशों से जुड़ा था।
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केंद्रीय बैंक की ओर से यह भी कहा गया है कि इस कार्रवाई का ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता से कोई संबंध नहीं है। इस पेनाल्टी से पहले आरबीआई ने 31 मार्च, 2020 तक इंडियन ओवरसीज बैंक की वित्तीय स्थिति के बारे में सुपरवाइजरी वैल्युएशन के लिए एक निरीक्षण किया था। इसमें रिस्क असेसमेंट रिपोर्ट, इंस्पेक्शन रिपोर्ट और उससे जुड़ी चीजें शामिल थीं।