शेयर बाजार में GMP हमेशा चर्चा का विषय रहता है। दरअसल जीएमपी से किसी भी आईपीओ के लिए निवेश की योजना बनाई जा सकती है। लेकिन कई लोगों को यह नहीं पता होता है कि आखिर यह GMP तय कैसे होता है? इससे कैसे यह अंदाजा लगाया जा सकता है, कि कोई शेयर ऊपर जाएगा या फिर नीचे ट्रेड करेगा।
आईपीओ से पहले किसी भी शेयर का GMP चर्चा में रहता है। हर तरफ आईपीओ के GMP की जानकारी लेने के लिए निवेशक उत्सुक रहते हैं। यह GMP आईपीओ के लिस्टिंग के दौरान सबसे ज्यादा फोकस में रहता है। चलिए जानते हैं आखिर किसी शेयर का GMP कैसे तय किया जाता है।
क्या होता है ग्रे मार्केट (GMP)
दरअसल सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि GMP होता क्या है? बता दें कि जीएमपी एक अनौपचारिक बाजार है, इसे ग्रे मार्केट भी कहते हैं। हालांकि यह वैध नहीं है और ना ही अवैध है। ग्रे मार्केट में शेयरों की लिस्टिंग से पहले ही ट्रेडिंग की जाती है। यानी आईपीओ आने से पहले ही कंपनी के शेयर में ट्रेडिंग शुरू कर दी जाती है। हालांकि यह कोई औपचारिक बाजार नहीं है। इस बाजार में ट्रेड करना भरोसे और संपर्क का काम है। जीएमपी पर आईपीओ से पहले शेयर का इश्यू प्राइस कितना ऊपर या प्रीमियम दिया जाएगा यह अंदाजा लगाया जाता है।
कैसे तय होता है GMP?
अगर हम यह समझे कि GMP तय कैसे होता है? आसान भाषा में समझा जाए तो इसके लिए सप्लाई और डिमांड पर ध्यान देना होता है। शेयर की मांग अधिक होने पर जीएमपी बढ़ जाता है और मांग कम होने पर घट जाता है। यदि किसी शेयर की इश्यू प्राइस 200 है और अगर वह जीएमपी पर 80 रुपए है, तो अनुमान लगाया जाता है, कि लिस्टिंग के दौरान यह शेयर ₹280 तक जा सकता है। पूरा काम डिमांड और सप्लाई के आधार पर किया जाता है। लेकिन विशेषज्ञ की माने तो ग्रे मार्केट सिर्फ अनुमान लगाने का तरीका है। यह सटीक नहीं है स्थितियों के बदलाव के चलते जीएमपी कई बार गलत भी हो सकता है।