जबलपुर, संदीप कुमार। मध्यप्रदेश स्कूल (MP School) में शिक्षा की गुणवत्ता (quality of education) सुधारने के लिए शुरु किए गए सीएम राइज स्कूलों (CM Rise School) में प्राचार्यों की नियुक्तियों (principal Recruitment) को हाईकोर्ट (High court) ने अपने फैसले के अधीन कर लिया है। प्राचार्यों की नियुक्तियों में तय प्रावधानों का पालन ना होने पर जबलपुर हाईकोर्ट ने ये आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने मामले में राज्य सरकार और स्कूल शिक्षा विभाग (School Education department) के आला अधिकारियों के खिलाफ नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है।
दरअसल मध्यप्रदेश के 275 सीएम राइज स्कूलों में प्राचार्यों के पद पर सिर्फ दूसरे शासकीय स्कूलों में कार्यरत प्राचार्यों की ही नियुक्तियां होनी थीं लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग ने बिना मैरिट लिस्ट बनाए उच्च माध्यमिक शिक्षकों को भी सीएम राइज स्कूलों के प्राचार्य के रुप में चुन लिया। चयन से वंचित उम्मीदवारों ने पूरी चयन प्रक्रिया को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
प्राचार्य भर्ती के लिए 26 अक्टूबर 2021 को प्राचार्य पद के चयन के लिए विज्ञापन निकाले गए थे। जिसमें कई शर्तें निर्धारित की गई थी। वहीं प्राचार्य पद के लिए केवल हाई स्कूल हायर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य आवेदन करने की पात्रता रखते थे। विज्ञापन के जरिए प्रदेश भर से कुल 238 लोगों ने ऑनलाइन आवेदन किया था। जिनमें से 69 लोगों को चयन कर प्राचार्य प्रशिक्षण के लिए इंदौर भेजा गया था। वही दायर याचिका में यह भी कहा गया है प्रशिक्षण के लिए भेजे गए 69 लोगों में से 9 प्राचार्य ऐसे हैं, जो 238 की लिस्ट में शामिल भी नहीं थे। बावजूद इसके बिना आवेदन के उनका चयन किया गया है।
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इतना ही नहीं 5 जनवरी 2022 को एक नए विज्ञापन के तहत कुछ अन्य नियम जोड़े गए थे। इसमें कहा गया था कि पूर्व में आवेदन कर चुके प्राचार्य दोबारा आवेदन करने की पात्रता नहीं रखेंगे। इसके साथ ही उप प्राचार्य के पद पर 60% अंक प्राप्त किए हैं वह प्राचार्य पद के लिए पात्र होंगे।
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से वकील ने दलील पेश की। इसमें कहा गया कि 5 जनवरी को निकाले गए विज्ञापन नियम के विरुद्ध है। दरअसल नियम के तहत प्राचार्य के पद पर प्राचार्य आवेदन कर सकते थे। लेकिन 65 ऐसे लोग हैं, जो प्रथम चरण में शामिल होने के बाद द्वितीय चरण में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। इसके साथ ही उप प्राचार्य के पद पर 60% अंक के लोगों पर भी वकील ने सवाल खड़े किए हैं।
उन्होंने कहा कि प्राचार्य हेड मास्टर की परीक्षा की रिजल्ट अभी घोषित नहीं की है। ऐसे में उन्हें उप प्राचार्य कैसे माना जा सकता है। इसके साथ ही साथ हाईकोर्ट में दायर याचिका में प्रथम चरण में 64 लोगों के चयन में और द्वितीय चरण में 58 लोगों के चयन को अनियमितता और नियम के विरुद्ध बताए जाने के साथ ही उनका कानून के तत्वों का उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।
इसके बाद इस मामले में न्यायालय द्वारा घोर लापरवाही मानी गई है। जिस पर हाईकोर्ट ने ना सिर्फ सरकार से जवाब मांगा है बल्कि सीएम राइज स्कूलों में प्राचार्यों की नियुक्ति को याचिका पर अपने फैसले के अधीन भी कर लिया है। मतलब साफ है कि सीएम राईज़ स्कूलों के प्राचार्यों के चयन पर, इस मामले में हाईकोर्ट का अंतिम निर्णय लागू होगा। इस विषय पर स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, लोक शिक्षण संचनालय के आयुक्त सहित लोक शिक्षण संचनालय के डायरेक्टर और अन्य को नोटिस जारी कर दिए गए।