कर्मचारियों को दिवाली से पहले मिलेगी खुशखबरी!बढ़ सकता है महंगाई भत्ता, बुधवार को कैबिनेट बैठक

प्रदेश के सरकारी कर्मचारी लंबे समय से महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। बीते दिनों डीए को लेकर कर्मचारी संगठनों ने प्रदर्शन भी किया था और सीएम से मुलाकात कर अपनी बात भी रखी थी।

Dearness allowance HIKE 2024

CG Employees News : छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को दिवाली से पहले महंगाई भत्ते की सौगात मिल सकती है। बुधवार को सीएम विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक बुलाई गई है, उम्मीद की जा रही है कि बैठक में सरकारी कर्मचारियों द्वारा 4% महंगाई भत्ता बढ़ाने की मांग को लेकर भी चर्चा हो सकती है।

चुंकी सितंबर अंत में छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल ने सीएम से मुलाकात की थी और उन्हें मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया गया था।इससे पहले वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने भी डीए देने की बात कहीं थी। वर्तमान में केंद्र में DA 50% है जबकि राज्य में केवल 46% है।

DA Hike में देरी से कर्मचारियों में बढ़ रही नाराजगी

दरअसल, कर्मचारियों एवं पेंशनरों को चुनावी घोषणा पत्र में मोदी की गारंटी के तहत केंद्र के समान DA और एरियर्स राशि को GPS खाते में समायोजित करने का वादा किया गया था, इसको लेकर CM, वित्त मंत्री और मुख्य सचिव को 31 जुलाई को ज्ञापन भी दिया गया था। इसके बाद अगस्त में वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने चर्चा के बाद 1 जनवरी 2024 से देय 4% DA/DR का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अबतक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है,जिसके चलते कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।संभावना है कि दिवाली से पहले कर्मचारियों को डीए की सौगात मिल सकती है।

छग कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन की मांगें

  • कर्मचारियों को केंद्र के समान 1 जनवरी 2024 से 4 फीसदी महंगाई भत्ता दिया जाए।
  • प्रदेश के कर्मचारियों को जुलाई 2019 से देय तिथि पर महंगाई भत्तों के साथ एरियर्स की राशि का समायोजन जीपीएफ खाते में किया जाए।
  • प्रदेश के शासकीय सेवकों को चार स्तरीय समय मान वेतनमान दिया जाएय
    केंद्र के समान गृह भाड़ा भत्ता दिया जाए।
  • एमपी सरकार की भांति प्रदेश के शासकीय सेवकों के अर्जित अवकाश के संचयन की अधिकतम सीमा 240 दिवस के स्थान पर 300 दिवस किया जाए।

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Pooja Khodani

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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