बिलासपुर, डेस्क रिपोर्ट। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कर्मचारियों की याचिका को स्वीकार कर सिंगल बेंच के फैसले को रद्द कर दिया है। डिवीजन बेंच ने सिम्स प्रबंधन के फैसले को गलत ठहराते हुए याचिकाकर्ता दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को वापस नौकरी में रखने का निर्देश जारी किया है।
दरअसल, सिम्स में महेश राम थवाइत, सोमेश कुमार पाठक, महेंद्र कुमार देवांगन, सुशीला रात्रे सहित अन्य ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सिंगल बेंच के एक फैसले को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा था कि वर्ष 1998 से 2000 में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में नियुक्ति हुई थी। नियुक्ति के बाद विश्वविालय ने सभी कर्मचारियों का सिम्स में तबादला कर दिया था, लेकिन सिम्स प्रबंधन ने 11 सिंतबर 2008 को सभी को नौकरी से यह कहकर बाहर निकाल दिया कि उनकी नियुक्ति विश्वविद्यालय ने की है और सिम्स राज्य सरकार के अधीन है, ऐसे में उन्हें विश्वविद्यालय प्रबंधन से चर्चा करनी चाहिए।
इसके बाद कर्मचारियों ने सिम्स प्रबंधन के फैसले को चुनौती देने के लिए श्रम न्यायालय में मामला दायर किया तो श्रम न्यायालय ने संचालक चिकित्सा शिक्षा और सिम्स प्रबंधन को निर्देश जारी कर याचिकाकर्ताओं को पुन: नौकरी पर वापस रखने के साथ नियमों का हवाला देते हुए जीवन निर्वहन के लिए 20% बकाया वेतन का भुगतान करने का निर्देश भी जारी किया था।
कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर! DA Arrear पर ताजा अपडेट, जानें कब खाते में आएंगे 1.50 लाख?
इसके बाद श्रम न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए 2021 में राज्य शासन ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी और फिर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने श्रम न्यायालय के फैसले सही ठहराया दिया।इसके बाद फिर कर्मचारियों ने सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए डिवीजन बेंच में अपील की और अब अंतत: हाई कोर्ट ने डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को रद्द करते हुए याचिकाकर्ताओं को नौकरी में वापस रखने निर्देश जारी किए हैं।