महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए बीजापुर जिले की सभी ग्राम पंचायतों में क्यूआर कोड लगाए जा रहे हैं। कलेक्टर संबित मिश्रा के मार्गदर्शन में जिला पंचायत सीईओ नम्रता चौबे ने सभी जनपद पंचायतों को यह निर्देश दिए हैं। इस पहल के तहत ग्रामीण केवल अपने मोबाइल से क्यूआर कोड स्कैन कर मनरेगा कार्यों की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। अब तक जिले की 171 ग्राम पंचायतों में क्यूआर कोड जनरेट कर सार्वजनिक स्थलों और पंचायत भवनों में लगाए जा चुके हैं।
क्यूआर कोड स्कैन करने पर ग्रामीणों को मनरेगा से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारिया आसानी से उपलब्ध होंगी। इसमें पिछले चार वर्षों के कार्यों का विवरण, पूर्ण, प्रगतिरत और अप्रारंभ कार्यों की स्थिति, प्रत्येक कार्य पर खर्च की गई राशि और उत्पन्न रोजगार दिवसों का ब्यौरा शामिल है। यह व्यवस्था ग्रामीणों को अपनी पंचायत के कार्यों पर नजर रखने में सक्षम बनाएगी और फर्जी मास्टर रोल जैसी अनियमितताओं पर अंकुश लगाएगी।
पारदर्शिता और निगरानी में सुधार
जिला पंचायत सीईओ नम्रता चौबे ने बताया कि पहले मनरेगा की वेबसाइट के माध्यम से जानकारी प्राप्त करना जटिल और समय लेने वाला था। क्यूआर कोड की इस नई व्यवस्था से प्रक्रिया को सरल बनाया गया है, जिससे ग्रामीण स्वयं यह देख सकेंगे कि उनकी पंचायत में कौन-से कार्य पूरे हुए और कौन-से प्रगति पर हैं। जनपद पंचायत उसूर की साप्ताहिक बैठक में पंचायत सचिवों और रोजगार सहायकों को इसकी उपयोगिता और कार्यान्वयन के बारे में विस्तार से बताया गया।
ग्रामीणों को सशक्त बनाने की दिशा में कदम
यह पहल न केवल मनरेगा कार्यों में पारदर्शिता लाएगी, बल्कि ग्रामीणों को अपनी पंचायत की योजनाओं की निगरानी करने का अधिकार भी प्रदान करेगी। क्यूआर कोड के माध्यम से जानकारी का त्वरित और आसान प्रसार सुनिश्चित होगा, जिससे ग्रामीण समुदाय योजनाओं के लाभ और प्रगति से बेहतर ढंग से जुड़ सकेंगे। यह कदम बीजापुर जिले में मनरेगा की प्रभावशीलता को बढ़ाने और ग्रामीण विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।





