Bollywood Stories: जब सीन को परफेक्ट बनाने के लिए 12 दिनों तक नहाए नहीं थे Aamir Khan, ऐसा हो गया था हाल

Diksha Bhanupriy
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Bollywood Stories Hindi: चकाचौंध से भरी बॉलीवुड की दुनिया में सितारों से जुड़े कई किस्से बहुत मशहूर है। कुछ लोगों और कहानियों के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन कई अनसुने किस्से ऐसे भी हैं जिनके बारे में ज्यादा लोगों को नहीं पता है। आज हम आपको मिस्टर परफेक्शनिस्ट कहे जाने वाले आमिर खान (Aamir Khan) का एक ऐसा ही किस्सा बताते है। इस किस्से के बारे में जानने के बाद आपको निश्चित ही आमिर के नाम के साथ जुड़े परफेक्शनिस्ट शब्द का मतलब समझ आ जाएगा।

अपने शानदार फिल्मी करियर में आमिर खान ने एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया है। आज भी वह दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं। यह बात बहुत थोड़ी मजेदार और हैरान कर देने वाली है कि आमिर खान ने एक बार अपनी फिल्म के एक सीन को शूट करने के लिए 12 दिनों तक नहाया नहीं था। ऐसा उन्होंने सिर्फ और सिर्फ अपने सीन को पर्फेक्ट रूप देने के लिए किया था।

आमिर खान की Bollywood Stories

कई सुपरहिट फिल्में देने वाले आमिर खान ने कयामत से कयामत तक से लेकर 3 इडियट और दंगल में अपने हर किरदार के साथ बखूबी न्याय किया है। वह अपने हर किरदार को पर्दे पर उतारने के लिए बहुत मेहनत करते हैं। जब वह फिल्म गुलाम की शूटिंग कर रहे थे तब भी उन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर किरदार में उतरने की कोशिश की थी। उनका ना नहाने वाला किस्सा भी इसी फिल्म से जुड़ा हुआ है।

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1998 में सिनेमाघरों में रिलीज हुई फिल्म गुलाम में एक शानदार क्लाइमैक्स सीन देखने को मिला था। इसमें विलेन ने आमिर खान के साथ बहुत मारपीट की थी। सीन में आमिर के चेहरे पर काफी सारा खून और गंदगी जमा हुई दिखाई दे रही थी। वह चाहते थे कि यह बिल्कुल परफेक्ट बना रहे और क्लाइमैक्स सीन पूरा होने तक उन्होंने अपने चेहरे को ऐसा ही रखने का फैसला लिया और 12 दिन तक बिना नहाए रहे।

 

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो अपने फैसले की वजह से आमिर को काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ा लेकिन अपने सीन को परफेक्ट बनाने के लिए वह हर मुसीबत से लड़ने के लिए तैयार थे। आमिर का यह फैसला सही साबित हुआ और फिल्म की रिलीज के बाद यह सीन दर्शकों को बहुत पसंद आया। आमिर खान अपने करियर में एक से बढ़कर एक फिल्मों में नजर आ चुके हैं जिनमें अंदाज़ अपना अपना, जो जीता वही सिकंदर, दिल है कि मानता नहीं, राजा हिंदुस्तानी, रंगीला, सरफरोश, लगान, रंग दे बसंती, तारे ज़मीन पर, गजनी, 3 ईडियट्स, पीके दंगल और कई अनगिनत फिल्में शामिल है।


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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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