किताबों से ली गई हैं इन 7 फिल्मों की कहानी, दर्शकों की है फेवरेट

फिल्मी दुनिया में दर्शकों के मनोरंजन के लिए एक से बढ़कर एक कहानी बनाई जाती है। कुछ कहानियां सोच कर तैयार होती है तो कुछ सच्ची घटनाओं और किताबों पर आधारित होती है। चलिए आज उन फिल्मों के बारे में जानते हैं जो किताबों पर बनी हैं।

Diksha Bhanupriy
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Indian Movies: भारतीय सिनेमा एंटरटेनमेंट का एक ऐसा साधन है। जिसे न केवल हमारे देश बल्कि विदेश में भी पसंद किया जाता है। दर्शकों की पसंद के हिसाब से अलग-अलग जॉनर की फिल्मों का अलग-अलग समय पर निर्माण किया जाता रहता है। कॉमेडी से लेकर एक्शन, थ्रिलर, सस्पेंस, हॉरर सभी तरह का मसाला दर्शकों के लिए परोसा जाता है।

फिल्मों की जो कहानी होती है वह कहीं ना कहीं से इंस्पायर होती है। कोई अपनी नजर जिंदगी के अनुभवों के आधार पर फिल्मों का निर्माण करता है तो कोई अपने आसपास देखी गई चीजों को देखकर फिल्म बनाता है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने किताबें और उन में लिखी कहानियों पर फिल्में बनाई हैं। इन कहानियों को बहुत पसंद भी किया गया। चलिए आज ऐसी फिल्मों के बारे में जानते हैं जो किताबें को देखकर बनाई गई है।

प्रसिद्ध भारतीय फिल्में (Indian Movies)

देवदास

साल 2002 में आई इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया था। इसे शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास ‘देवदास’ पर बनाया गया है। यह उपन्यास 1917 में आया था। फिल्म की कहानी दर्शकों को इतनी पसंद आई कि आज भी लोग इसे देखना नहीं भूलते।

ओमकारा

अजय देवगन और करीना कपूर की इस फिल्म को विशाल भारद्वाज ने 2006 में बनाया था। शेक्सपियर के नॉवेल ‘ऑथेलो’ से इसकी कहानी ली गई है।

तेरे मेरे सपने

देवानंद और मुमताज की फिल्म तेरे मेरे सपने, द सिटाडेल पर बनी है। इस किताब को ए जे क्रॉनिन ने लिखा था।

परिणीता

2005 में आई फिल्म परिणीता में संजय दत्त, सैफ अली खान और विद्या बालन जैसे कलाकार नजर आए थे। इसे शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के 1914 में लिखे गए उपन्यास ‘परिणीता’ पर बनाया गया है।

गाइड

1965 में रिलीज हुई फिल्म गाइड में देवानंद ने जबरदस्त तरीके से काम किया था। इसे आरके नारायण की नॉवेल ‘द गाइड’ पर बनाया गया था।

टू स्टेट्स

2014 में आई इस फिल्म में आलिया भट्ट और अर्जुन कपूर को देखा गया था। इसे चेतन भगत की नॉवेल ‘टू स्टेटस’ पर बनाया गया है।

सात खून माफ

प्रियंका चोपड़ा की यह फिल्म साल 2011 में रिलीज की गई थी। विशाल भारद्वाज के डायरेक्शन में बनाए गए इस फिल्म की कहानी को रस्किन बॉन्ड की लिखी गई कहानी ‘सुजैन सेवन हसबैंड्स’ पर बनाया गया था।


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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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