दरअसल राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण ने सीबीएसई से मान्यता प्राप्त संस्थानों के कर्मचारियों को भी ग्रेच्युटी और ब्याज का हकदार माना है। ऐसे साथी कोर्ट ने स्कूल की प्रबंध समिति को निर्देश देते हुए कर्मचारियों को ग्रेजुएटी सहित ब्याज की राशि का भुगतान करने के निर्देश दिए हैं।
इससे पहले कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल करते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि उनकी नियुक्ति 5 जुलाई 1976 को हुई थी और 1 जुलाई 2005 को उन्होंने संस्थान से त्यागपत्र दे दिया था लेकिन उन्हें ग्रेच्युटी की राशि का भुगतान नहीं किया गया है। दलील में संस्था ने कहा कि सीबीएसई से मान्यता प्राप्त संस्थान ग्रेच्युटी भुगतान के लिए उत्तरदायी नहीं है। संस्था ने जवाब देते हुए कहा कि सीबीएसई बायलॉज को मानना संस्था के लिए बाध्यकारी नहीं है। इसके लिए सीबीएसई और संस्था के बीच के मामले में तीसरे पक्ष को लाभ नहीं दिया जा सकता।
लाखों शिक्षकों के लिए खुशखबरी, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला, ब्याज के साथ मिलेगा ग्रेच्युटी का लाभ, 6 सप्ताह में होगा भुगतान
याचिकाकर्ता की तरफ से जवाब देते हुए कहा गया कि संस्था मान्यता लेते समय अंडरटेकिंग दी जाती है कि कर्मचारियों को भी सहित अन्य सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी स्थान कर्मचारियों को गति देने के लिए पूर्ण रूप से है। इतना ही नहीं पेमेंट आफ ग्रेच्युटी एक्ट की परिभाषा में संशोधन के साथ शिक्षकों को भी कर्मचारी की श्रेणी में रखा गया है ऐसे में उन्हें ग्रेच्युटी राशि का भुगतान किया जाना चाहिए। जिसके बाद अधिकरण द्वारा स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं कि कर्मचारी को ग्रेच्युटी राशि 6% ब्याज की राशि के साथ अदा की जाए।
सुप्रीम कोर्ट का ग्रेच्युटी पर बड़ा फैसला
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ी राहत दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी निजी स्कूलों को निर्देश देते हुए कहा कि निजी स्कूलों के शिक्षकों को भी कर्मचारी के दायरे में लाते हुए उन्हें ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 के संशोधन की वैधता के तहत ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने 6 सप्ताह के भीतर शिक्षकों को ब्याज सहित गई ग्रेच्युटी के भुगतान के आदेश दिए थे।
मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ग्रेच्युटी का भुगतान निजी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के लिए इनाम राशि नहीं बल्कि उनकी सेवा की न्यूनतम शर्त में से एक है और उन्हें इसका लाभ दिया जाना चाहिए। कई हाई कोर्ट में केस हारने के बाद शिक्षकों द्वारा 2009 के संशोधित गए स्वीटी को देश के उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी। जिसके बाद न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और बेला त्रिवेदी की पीठ ने सुनवाई करते हुए स्कूलों को ग्रेजुएटी भुगतान के निर्देश दिए थे। इसका लाभ 6 सप्ताह के अंदर निजी स्कूल के शिक्षकों को मिलेगा।