भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव (MP Panchayat Election) के निरस्त होते ही पंचायत वित्तीय अधिकार (Panchayat Financial Rights) सरपंचों के हाथ में सौंप दिए गए थे। हालांकि सरकार द्वारा 3 दिन के बाद ही प्रधान प्रशासनिक समिति (Principal Administrative Committee) से पंचायत संचालन की जिम्मेदारी को वापस ले लिया गया था। जिसके बाद अब पंचायत सरपंच ने सामने बड़ी मांग रख दी है।
मध्य प्रदेश में लंबे समय से पंचायत चुनाव (panchayat election) की राह देख रहे सरपंचों को एक बार फिर से बड़ा झटका लगा है। दरअसल पंचायत चुनाव टलने के साथ ही अब पंचायत संचालन को लेकर संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जिसके बाद पंचायत का अधिकार पाने सरपंच सरकार से बड़ी मांग कर रहे हैं। इस मामले में सरपंचों का कहना है कि अगर पंचायतों का अधिकार नहीं दिया गया तो 23 हजार के करीब सरपंच राजधानी भोपाल पहुंचेंगे और सरकार के सामने अपनी मांग रखेंगे।
पंचायत चुनाव रद्द होने के साथ ही सरपंचों की मांग है कि उन्हें उनका अधिकार वापस मिले। साथ ही पुरानी व्यवस्था को लागू किया जाए। मामले में सरपंचों का कहना है कि आचार संहिता समाप्त होने से पहले सरपंच और प्रधान अपने काम को बखूबी कर रहे थे। आचार संहिता को समाप्त कर दिया गया किंतु सरपंचों को उनका अधिकार नहीं दिया गया है। सरपंचों का कहना है कि 3 से 4 दिन के भीतर यदि सरकार ने पंचायतों के संचालन के ऊपर कोई बड़ा निर्णय नहीं लिया और प्रधान प्रशासनिक समिति का गठन नहीं किया तो प्रदेश के 23000 से अधिक सरपंच राजधानी भोपाल में एकत्रित होंगे और सीएम शिवराज (CM Shivraj) के समक्ष अपनी मांग प्रस्तुत करेंगे।
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इस मामले में बीजेपी का बड़ा बयान सामने आया है। दरअसल बीजेपी (BJP) ने कहा है कि पंचायत के संचालन और सरपंचों के अधिकार को लेकर बीजेपी बेहतर फैसला लेगी। बीजेपी का कहना है कि सरपंचों की मांग पर बीजेपी व्यवस्थित चर्चा करेगी। बीजेपी का कहना है कि जब तक चुनाव के सारे परिदृश्य साफ नहीं हो जाते, तब तक सरपंच सहित पंचायतों के लिए बेहतर विकल्प क्या हो सकता है। इस पर सरकार विचार कर रही है। बीजेपी का कहना है कि कुछ सरपंच ने पंचायतों में अपने अधिकार को लेकर उनसे मुलाकात की है। वहीं संगठन स्तर पर बीजेपी सरपंच की मांग सरकार तक अवश्य पहुंचाएगी। सरकार की तरफ से एक बेहतर विकल्प निकलकर सामने आएगा।
बता दें कि मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव के निर्देश होते ही पंचायतों के संचालन पर राज्य सरकार द्वारा प्रधान प्रशासनिक समिति संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इस मामले में 6 जनवरी को एक आदेश जारी किया गया था। जिसके मुताबिक पंचायत एवम ग्रामीण विकास विभाग ने पंचायत के कार्य का संचालन प्रधान प्रशासन को सौंपा था। जिसके बाद सरपंच और सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से बैंक खातों का अधिकार दिए गए थे। वहीं जिला पंचायत स्तर पर यह व्यवस्था लागू की गई थी।
हालांकि सरकार ने 3 दिन के बाद ही फैसले को वापस ले लिया। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा अपने फैसले को निरस्त कर दिया गया। फैसले को निरस्त करने के साथ ही मध्य प्रदेश में पंचायत के संचालन को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे थे। हालांकि विभाग की तरफ से कोई नवीन आदेश भी जारी नहीं किए गए हैं कि पंचायत के संचालन की जिम्मेदारी किसे दी जाएगी। ऐसे में अब प्रदेश के कई जिलों से सरपंच राजधानी भोपाल में एकत्रित हुए थे। उन्होंने अपने अधिकार की मांग की है।