भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव (MP Panchayat Elections)-नगरीय निकाय (Urban bodies) को लेकर रास्ता साफ हो गया है। दरअसल त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए परिसीमन (delimitation) का कार्य पूरा कर लिया गया है। माना जा रहा है कि मतदाता सूची (voter’s list) की प्रथम प्रकाशन 25 अप्रैल तक कर दिए जाएंगे। इससे पहले नगरीय निकाय में फोटोयुक्त मतदाता सूची के पुनरीक्षण (Revision of photo voter list) का कार्य जारी है। मतदाता सूची के लिए 4 से 11 अप्रैल तक की अवधि निर्धारित की गई है।
नगरीय निकायों एवं पंचायतों की फोटोयुक्त मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्य जारी है। मतदाता सूची में नाम जुड़वाने, हटवाने अथवा संशोधन करवाने के लिए दावे-आपत्ति प्राप्त करने 4 से 11 अप्रैल की अवधि निर्धारित थी। इसके अनुसार सोमवार 11 अप्रैल दावे-आपत्तियाँ प्राप्त करने का अंतिम दिन है। राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने आग्रह किया है कि सभी पात्र मतदाता, मतदाता सूची में नाम जरूर जुड़वायें।
25 अप्रैल तक मतदाता सूची तैयार करने के बाद सरकारी पंचायतों के आरक्षण का कार्य पूरा किया जाएगा। बता दें कि इससे पहले मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव आरक्षण को लेकर विवादों में आ गया था। जिसके बाद इसे निरस्त कर दिया गया था दरअसल आयोग के सचिव बीएस जामोद का कहना है कि 11 अप्रैल तक दावे आपत्ति आमंत्रित किए जाएंगे। इसके निराकरण के बाद 25 अप्रैल तक मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होगा।
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सचिव राज्य निर्वाचन आयोग बी.एस. जामोद ने जानकारी दी है कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्य के पर्यवेक्षण के लिए प्रत्येक जिले में आयोग द्वारा प्रेक्षक भी भेजे गये हैं। प्रेक्षक 13 अप्रैल तक निर्धारित स्थानों पर रहकर पर्यवेक्षण का कार्य करेंगे। इससे पहले 27% ओबीसी आरक्षण को लेकर मामला गरमा गया। जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के बाद सभी जिला कलेक्टरों को आदेश दिए गए थे। वहीं सर्वे का काम पूरा कर लिया गया। जिसके आधार पर तैयार प्रतिवेदन राज्य शासन को सौंपी जाएंगे।
ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश में 2014 के बारे में पंचायत चुनाव का आयोजन नहीं किया गया है। कमलनाथ सरकार के आने के बाद पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू की गई थी। हालांकि बाद में सत्ता परिवर्तन होने की वजह से एक बार फिर से यह मामला अटक गया सरकार ने 2019-20 में परिसीमन को निरस्त करते हुए पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के आदेश जारी किए थे। हालांकि इस बीच ओबीसी आरक्षण का मामला विवादों में आ गया था। वहीं 27 फीसद ओबीसी आरक्षण को लेकर मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया था। जिसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव को निरस्त कर दिया था।