भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। BJP के वरिष्ठ नेता और कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके डॉ हितेश वाजपेई ने ट्वीट के माध्यम से सरकार को बड़ा सुझाव दिया है। उन्होंने मेडिकल माफिया (medical mafia) से देश को मुक्त कराने के लिए आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के साथ ही संस्थानों के पंजीयन रद्द होने का सुझाव दिया है। कोरोना काल (corona era) में डॉक्टर हितेश वाजपेई (hitesh vajapyee) ने समाज के हित में कई बड़े कदम उठाए और कई लोगों को निशुल्क 24 घंटे सहायता भी की। लोगों की सहायता करते करते हुए खुद अस्वस्थ हो गए और शासकीय हमीदिया अस्पताल में उन्होंने स्वास्थ्य लाभ लिया।
चिकित्सा क्षेत्र के लंबे अनुभव के आधार पर उन्होंने सरकार को यह सुझाव दिया है यदि हम मेडिकल माफिया से भारत को मुक्त कराना चाहते हैं तो जिन चिकित्सा संस्थानों या उनके संचालकों पर इस संदर्भ में आपराधिक मुकदमे दर्ज हो, उन संस्थानों के पंजीयन रद्द कर देने चाहिए जब तक कि अदालतों से दोषमुक्त नहीं हो जाते। डॉक्टर वाजपेई ने यह भी कहा है कि मुझे पता है मैं एक नया मोर्चा खोल रहा हूं लेकिन देश बचे और बने इसलिए यह जरूरी है।
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उनका कहना है कि माननीय प्रधानमंत्री जी कोरोना को जड़ से मिटाने का संकल्प ले बैठे हैं और यदि हम प्रधानमंत्री जी और अदालतों के संज्ञान में कोरोना से जुङे कुछ अनुभव के आधार पर निर्णय लेने का हिस्सा बन पाएंगे तो अपने वजूद को महसूस करा पाएंगे। डा. वाजपेई ने आगे लिखा है कि अगर भारत में कोई भी व्यक्ति आपराधिक प्रकरणों में लिप्त है तो वह चुनाव नहीं लड़ सकता। यह निर्णय राजनीतिक स्वच्छता को स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण निर्णय है।
इसी प्रकार हम को देश को शिक्षा माफिया और चिकित्सा माफिया से मुक्त कराने के लिए इसी नियम को उन लोगों पर लागू किया जाना चाहिए जो इन संस्थानों के संचालक है।डा.वाजपेई ने आगे लिखा है कि कोई भी शिक्षा चिकित्सा संस्थान या उनका संचालक यदि आपराधिक प्रकरण में अदालत में वान्छित है तो तब तक, जब तक कि वह दोषमुक्त नहीं हो जाता, उसके संस्थान का पंजीयन निलंबित किया जाए जिससे हम शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र में स्वच्छता ला सकते हैं। डॉक्टर वाजपेई ने लोगों से आह्वान किया है कि आप भी ऐसा लिखें और देश को बदलें। भविष्य के भारत को अवसर दीजिए कि वह एक शुचिता के आधार पर मजबूती से खड़ा हो सके।
यदि हमें "Medical माफिया" से भारत को मुक्त करना है तो जिन चिकित्सा संस्थानों या उन्के संचालकों पर इस संदर्भ में "आपराधिक मुकदमें" दर्ज हों उनके "संस्थान" के पंजीयन "रद्द" होना चाहिये जब तक वे अदालत से दोषमुक्त नहीं हो जाते।@drharshvardhan @Vinay1011 @HMOIndia @PMOIndia @CMTA2020
— Dr.Hitesh Bajpai MBBS (@drhiteshbajpai) June 19, 2021
यदि हमें "शिक्षा माफिया" से भारत को मुक्त करना है तो जिन शिक्षा संस्थानों या उन्के संचालकों पर इसी संदर्भ में "आपराधिक मुकदमें" दर्ज हों तो उनके "संस्थान" के पंजीयन "रद्द" होना चाहिये जब तक वे अदालत से दोषमुक्त नहीं हो जाते।@PrakashJavdekar @Vinay1011 @EduMinOfIndia @PMOIndia
— Dr.Hitesh Bajpai MBBS (@drhiteshbajpai) June 19, 2021