रतलाम, सुशील खरे। जिले के सैलाना में कुशल संजीवनी अस्पताल (Kushal Sanjeevni Hospital) संचालक होम्योपैथी (Homeopathy) डॉ. राहुल यादव के खिलाफ एफआईआर की कार्रवाई पुलिस के द्वारा की गई है। कार्रवाई तहसीलदार अरुण चंद्रवंशी के प्रतिवेदन पर की गई है। प्रदेश स्तर से किसी मंत्री के दबाव के चलते कार्रवाई में देरी की जा रही थी। सैलाना में यह आम चर्चा है कि यह सब स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से संचालित था क्योंकि इस गोरखधंधे के पास ही स्वास्थ्य केंद्र और थाना है।
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तहसीलदार अरुण चंद्रवंशी द्वारा क्लीनिक की जांच कर एक प्रतिवेदन लिखकर रतलाम के कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, जिला पंचायत सीईओ, सीएमएचओ और एसडीएम सैलाना को भेजा गया था। जिसके काफी लंबे इंतजार के बाद यह कार्रवाई की गई। संजीवनी क्लीनिक की लगातार आ रही शिकायतों के चलते एसडीएम कामिनी ठाकुर के निर्देश पर तहसीलदार अरूण चंद्रवंशी ने विगत दोनों संजीवनी क्लिनिक का निरीक्षण किया था और डॉक्टर राहुल यादव से क्लिनिक के वैधानिक दस्तावेज मांगे। कारवाई के दौरान डॉक्टर से प्रथम दृष्टया पूछताछ में पाया कि डॉक्टर के पास सीएमएचओ द्वारा जारी लाईसेंस 2017 तक ही था। प्राईवेट क्लीनिक पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और स्थानीय नगर परिषद का अनापत्ति प्रमाण पत्र भी होना चाहिए जो कि डॉक्टर नहीं दिखा सके। इसके अलावा यह भी नहीं बता सके कि नर्सिंग होम का बायो मेडिकल वेस्ट कहां पर निष्पादित करते हैं।
बिना कोविड जांच के मरीजों का इलाज
अस्पताल में उपस्थित मरीजों से तहसीलदार ने चर्चा की तो पता चला कि बगैर कोविड जांच के ही मरीजों का उपचार डॉक्टर द्वारा किया जा रहा था। प्राईवेट क्लीनिक पर ज्यादातर मरीजों ने खुद को सर्दी, खांसी जुकाम और बुखार होना बताया पर किसी ने कोविड टेस्ट नहीं कराया था। जबकि सैलाना में विगत दिनो पॉजिटिव मरीजों की संख्या निरंतर बढ़ती ही जा रही थी। एक ही बिल्डिंग मे क्लीनिक और मेडिकल भी संचालित किया जा रहा था और मेडिकल में एलोपैथिक और आयुर्वेदिक दवाइयां भी रखी हुई थी।
ऐलोपैथिक के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाइयां भी
पूरे मामले को लेकर तहसीलदार अरूण चंद्रवंशी ने डॉ. यादव को सुनवाई का अवसर देते हुए दो बार नोटिस जारी किए। डॉक्टर की ओर से ललित कसेरा द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों में पूर्णता और वैधानिकता न होने के कारण प्रतिवेदन कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, जिला पंचायत सीईओ, सीएमएचओ को भेजा गया इसके पश्चात कार्रवाई हुई। डॉ. राहुल यादव बीएचएमएस है और ऐलोपैथिक की दवाए लिखते है और इसी के आधार पर नर्सिंग होम संचालित कर रहे थे। डॉ. यादव की क्लीनिक पर ऐलोपैथिक के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाइयां भी उपलब्ध थी। डॉक्टर के पास न तो मरीजों की कांटेक्ट हिस्ट्री निकली न प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी, और न ही सी एमएचओ द्वारा जारी लाइसेंस। इससे भी बड़ी बात यह है कि बुखार के मरीजों का इलाज बगैर कोविड टेस्ट के कराया जा रहा था। किसी भी प्रकार की मरीजों की जानकारी से संबंधित कोई भी रजिस्टर किया दस्तावेज मेंटेन नहीं किए जा रहे थे।
अस्पताल को राजनीतिक संरक्षण
बताया जा रहा है कि तहसीलदार के द्वारा यह कार्रवाई विगत 14 तारीख के आसपास की गई थी और उनके द्वारा तत्काल प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक तहसीलदार पर मध्य प्रदेश के एक आला मंत्री के द्वारा कार्रवाई रोकने का दबाव बनाया गया था और तत्काल इस कार्रवाई के पश्चात तहसीलदार को सैलाना से शिवगढ़ स्थानांतरित कर दिया गया था। उसके बाद कार्रवाई थम गई थी लेकिन शुक्रवार को नर्सिंग होम की कार्रवाई के अचानक वीडियो वायरल होने के बाद मामला पुनः गरमा गया और मीडिया के संज्ञान में आने के पर पूरी कार्रवाई की गई।
लगातार मिल रही थी शिकायत
एसडीएम कामिनी ठाकुर का कहना है कि 3 मार्च को एसडीएम कार्यालय में गोपनीय लिखित शिकायत प्राप्त हुई थी। जिसमें गर्भपात और प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण, कन्या भ्रूण हत्या और लाइसेंस न होने को लेकर शिकायत प्राप्त हुई थी। इसके अलावा नर्सिंग होम में अत्यधिक भीड़ होने की भी शिकायत थी। तहसीलदार को कार्रवाई करने के लिए कहा गया था। सबसे बड़ी बात यह है कि इस हॉस्पिटल के बिल्कुल नजदीकी सरकारी चिकित्सालय भी है, जहां पर ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ शैलेश डांगे भी रहते हैं। लेकिन 2017 से उनकी जानकारी में यह मामला नहीं आया। जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मुझे मोबाइल की मीडिया से पता चला है जो भी कार्रवाई करनी होगी सीएमएचओ ऑफिस से होगी इससे ज्यादा मुझे कोई जानकारी नहीं है।