भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश के कर्मचारियों (MP Employees) को जल्द बड़ा लाभ मिल सकता है। दरअसल उनकी परिवीक्षा अवधि (Probation duration) घटाने पर विचार किया जा रहा है। सरकार परिवीक्षा अवधि को 1 वर्ष के लिए घटा सकती है। इसके लिए विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। वहीं कर्मचारी संगठन की मांग पर सामान्य प्रशासन विभाग (Department of General Administration) मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियम 1961 में संशोधन करने की प्रक्रिया की शुरुआत की है।
बता दे प्रदेश में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की परिवीक्षा अवधि 3 वर्ष है। जिसे हटाने की प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है। दरअसल 2019 से पहले सभी अधिकारी कर्मचारियों के लिए परिवीक्षा अवधि 2 साल निर्धारित की गई थी। हालांकि 2019 में कमलनाथ की सरकार बनते ही दिसंबर में परिवीक्षा अवधि को 1 वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया था। वही यह बढ़त तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के लिए तय की गई थी। इसके तहत वेतनमान में प्रथम वर्ष में 70% द्वितीय में 80% व तृतीय वर्ष में 90% देने का प्रावधान रखा गया था।
इस नई व्यवस्था से कर्मचारी संतुष्ट नहीं थे। जिसके बाद एक बार फिर से अब राज्य कर्मचारी कल्याण समिति ने कर्मचारी संगठन की मांग के आधार पर सीएम शिवराज से आग्रह किया है। इस पर सामान्य प्रशासन विभाग ने तैयारी भी पूरी कर दी है। वही मामले में कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रमेश राठौर का कहना है कि विभाग के स्तर पर नियम में संशोधन के लिए परीक्षण किया जा रहा है। वित्त विभाग की अनुमति के साथ ही इसे कैबिनेट में जल्द ही प्रस्तुत कर दिया जाएगा।
बता दें कि 2019 से पहले प्रदेश के सभी अधिकारी कर्मचारियों के लिए प्रोबेशन पीरियड 2 वर्ष निर्धारित की गई थी। जिसमें कर्मचारियों को पूरे वेतन का लाभ दिया जाता था। कमलनाथ सरकार के दौरान प्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1961 में संशोधन किया गया। जिसमें 1 वर्ष के लिए अवधि को बढ़ाने के साथ ही मूलभूत नियम में संशोधन किए गए संशोधन के तहत कर्मचारियों की नई भर्ती होने पर उन्हें परिवीक्षा अवधि के पहले वर्ष में 70% वित्तीय वर्ष में 80% और तृतीय वर्ष में 90% वेतनमान देने का प्रावधान लागू कर दिया गया। जिसका नुकसान कर्मचारियों को ही उठाना पड़ रहा था।
वही परिवीक्षा अवधि में विभागीय परीक्षाओं की व्यवस्था में भी संशोधन देखने को मिल सकता है।दरअसल इसके लिए प्रशासन अकादमी के महानिदेशक की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। इस नियम के तहत फिलहाल प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को 2 वर्ष में विभागीय परीक्षा पास करना अनिवार्य होता है। वही यह व्यवस्था प्रशासनिक सेवा में भी लागू रहती है।
यदि अधिकारी कर्मचारी 2 वर्ष में विभागीय परीक्षा को पास नहीं कर पाते हैं तो उन्हें वेतन वृद्धि और स्थायी करण का लाभ नहीं दिया जाता है। परीक्षा व्यवस्था में आंशिक संशोधन की तैयारी की जा रही है। इस पर विचार विमर्श करने के बाद इसके प्रतिवेदन को सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपा जाएगा।उस पर आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।