नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने एक बार फिर से कर्मचारियों (Employees) के लिए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इसके तहत कर्मचारियों को एमएसीपी योजना (MACP Scheme) का लाभ 2008 से प्रभावी होगा। साथ ही एमएसीपी योजना के तहत अगले ग्रेड पे (grade pay) के बराबर आर्थिक अपग्रेडेशन का लाभ उपलब्ध कराया जाएगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारियों के पेंशन पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। साथ ही 2008 से पहले सेवा में अर्धसैनिक बल के कर्मचारियों के वेतन पर भी इसका असर दिखेगा।
यानी अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक कर्मचारियों को अगले प्रधानमंत्री पद के बराबर आर्थिक अपग्रेडेशन का लाभ नहीं मिलेगा। उन्हें सेंट्रल सिविल सर्विस रिवाइज्ड पे रूल्स 2008 के मुताबिक अगले ग्रेड पर के बराबर आर्थिक अपग्रेडेशन का लाभ उपलब्ध होगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार की अपील पर आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के एक अंश को रद्द कर दिया है।
इस अंश में हाईकोर्ट ने 2008 से पहले सेवा में आए कर्मचारियों को मॉडिफाइड एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन योजना के तहत वित्तीय लाभ 1 जनवरी 2006 से देने और कर्मचारियों को अगले पदोन्नति पद के बराबर वित्तीय लाभ देने के आदेश दिए गए थे। मामले के मुताबिक एमएसीपी स्कीम को लागू करने की तिथि को लेकर विवाद दिखा जा रहा था। इसके तहत कर्मचारियों के अगले प्रमोशनल पद का पे स्केल मिलेगा। उन्हें अगले ग्रेड पर के बराबर आर्थिक अपग्रडेशन मिलेगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में स्थिति साफ कर दी है।
बता दे कि कर्मचारियों को पदोन्नति का मौका नहीं मिलता था। जिसके बाद वित्तीय इंसेंटिव देने के लिए उन पर एसीपी योजना लागू की गई थी। इस योजना के तहत कर्मचारियों को 12 और 24 साल की नौकरी के बाद वित्तीय इंसेंटिव प्राप्त होता था जबकि अगले प्रमोशनल पद का वित्तीय अपग्रेडेशन दिया जाता था लेकिन एमएसीपी योजना में 10 वर्ष , 20 और 30 वर्ष की नौकरी पर वित्तीय इंसेंटिव देने का प्रावधान था। इसके अलावा वित्तीय लाभ अगले प्रमोशनल पद पर नहीं देकर ग्रेड पे के मुताबिक दिया जाता था।
इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला सुनाने के बाद केंद्र ने हाईकोर्ट के फैसले का विरोध किया था और एमएसीपी योजना के लाभ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। वही दलील देते हुए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि इस योजना का लाभ नहीं दिया जा सकता है। इससे सरकार पर आर्थिक भार बढ़ेगा।