व्यापर, डेस्क रिपोर्ट। निवेश (Investment Tips) का बाजार प्रतिदिन बदलता रहता है। पिछले कुछ महीनों से निवेशकों का झुकाव पैसिव म्यूच्यूअल फंड (mutual fund) की तरफ अधिक देखने को मिल रहा है। दरअसल पेसिव म्युचुअल फंड (passive mutual fund) रिस्क कम है और मार्केट इंडेक्स में शामिल कंपनियों के शेयर में निवेश करने पर लंबे और मोटे रिटर्न हासिल होते हैं। वहीँ कुछ निवेशक शेयर (share market) और म्यूच्यूअल फंड निवेश की कार्यशैली पर चिंतित होते हैं, आज बात करेंगे इन दोनों जगहों होने वाले निवेश और उनके रिटर्न्स पर
वही शेयर मार्केट की तुलना में म्यूचुअल फंड बाजार के जोखिम अधिक है। जिसमें निवेशकों के पास गलती करने की बहुत कम गुंजाइश होती है। निवेशक विशेष रूप से एक अनुभव हीन निवेशक एक उच्च बाजार में इक्विटी निवेश शुरू करके पहली गलती करते हैं। आइए जानते हैं क्या है एक्टिव और पैसिव म्यूच्यूअल फंड और किसके रिटर्न है ज्यादा बेहतर :-
एक्टिव-पैसिव फंड में अंतर
एक्सपर्ट की मानें तो एक्टिव म्यूचुअल फंड में निवेश की गई राशि फंड मैनेजर मैनेज करते हैं। मार्केट के किस सेक्टर के किस स्टॉक में पैसा लगाना है। यह फंड मैनेजर के तहत निर्धारित होते हैं जबकि पैसिव फंड पूरी तरह से बाजार को ट्रैक करते हैं। ऐसे में जब बाजार में तेजी आती है तो पैसिव फंड में निवेश की गति बढ़ जाती है। वही रिस्क कम करने के लिए आज के समय में हर व्यक्ति शेयर मार्केट में निवेश करना चाहता है।
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शेयर मार्केट में निवेश के 2 तरीके होते हैं।
- पहला डिमैट अकाउंट खोले और इसके जरिए बाजार में निवेश करें।
- दूसरे म्यूचुअल फंड में एसआईपी की मदद से लंबे समय के लिए निवेश कर मोटे रिटर्न हासिल करें।
पैसिव फंड की सबसे बड़ी खासियत
वही पैसिव फंड की सबसे बड़ी खासियत उनके फंड मैनेजर का ना होना है। दरअसल इस फंडिंग सिस्टम में लंबी अवधि में मोटा रिटर्न प्राप्त होता है। वही इसकी मदद से राशि में वृद्धि की जा सकती है। वही इसके जोखिम भी कम है एक्सपर्ट के दावे की माने तो पिछले कुछ महीनों में निवेशकों की रुचि पैसे फंड की तरफ बढ़ी है। इस मामले में हाल ही में आए आंकड़े से ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं। बेहतर रिटर्न की कोशिश में एक्टिव फंड का टारगेट मार्केट इंडिया से बेहतर रिटर्न प्राप्त करना होता है जबकि पैसिव पंडित के नियम में बाजार में तेजी बढ़ने से मोटी रकम की उम्मीद बढ़ जाती है। एक्टिव फंड में बाजार को समझने के लिए अधिक रिसर्च की आवश्यकता होती है जबकि पैसिव फंड बाजार के टारगेट मार्केट इंडेक्स और बदलते व्यापारी गतिविधियों से राशि की तुलनात्मक वैल्यू ज्ञात करते हैं।
क्या है सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान
वहीं सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के माध्यम से निवेशक निवेश इक्विटी एमएस योजना में निवेश करने का कार्य करते हैं। यह कम जोखिम भरा तरीका होता है। लंबी अवधि के लिए होने वाले इस निवेश से निवेशक को ऊंचे रिटर्न प्राप्त हो सकते हैं। हालांकि यह निवेश कई निवेशकों के मनोबल को गिरा देता है और कुछ ही अवधि के बाद निवेशक एसआईपी बंद कर देते हैं। जिसके बाद उनकी निवेश की गई राशि के स्क्रैप वैल्यू से हाई रिटर्न प्राप्त करने का मौका उनके हाथ से निकल जाता हैं।
इसी बीच शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड में निवेश के बाद उच्च रिटर्न प्राप्त करने की स्थिति समझने के लिए एक बेहतर सलाह के बाद ही कार्यशैली अपनाएं। वही म्यूचुअल फंड में निवेश करने के बाद लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न पाने की संभावना बढ़ जाती है जबकि यदि आप ज्यादा जोखिम के साथ अच्छे रिटर्न प्राप्त करना चाहते हैं तो शेयर मार्केट में निवेश आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकते हैं।